एक लड़की
सो रही है मेरे भीतर
गहरी नींद में
रात तक के लिए |
वह-
उठ जाएगी
आधी रात को
मेरे भीतर
कुछ सपनों
कुछ यादों के साथ|
तब-
मैं सो जाऊँगा
और
लड़की पढ़ेगी
पाब्लो नेरुदा की कविताएँ
जो लिखी थीं उसने
हमारे लिए ही
चिली के पहाड़ों पर बैठकर |
यादें खेलेंगी आँगन में
और सपने
सो जायेंगे
ठन्डे पड़े
चूल्हे के पास |
रात गहरी है
खामोश |
तुम आओगी तो दिखाऊँगा तुम्हें
अँधेरे के
जादुई तमाशे |
तुम्हारे सुनहरे बालों में टांक दूंगा
रात का स्याहपन
और-
माथे को हल्के से चूम
उतार दूंगा
रात की ठंडी गहराईयों में
तुम्हारी देह की खुशबू से
भू-मंडल को
नहला दूंगा
घोल दूंगा तुम्हें
रात के इस अँधेरे में
अपनी देह के साथ |
सदियाँ गुज़र गईं
तब कहीं
आज उतारा धरती पर
बुल्लेशाह
टहला मेरे भीतर
गुनगुनाता काफीयाँ
रच दी
कुछ और नज़्में
मैं देखता एकटक
अपलक आभा !
आँखों में बस गया
आभे का विस्तार
संग रमता थार
प्यार
अपार !
शब्द-
जहां थक जाते हैं
हारते हैं
एक
सन्नाटा !
निःशब्द
मैं पसर जाता चहुँदिश |
बातें-
फिर भी होतीं
आँखों की भाषा
प्रीत के शब्दों में |
***
सतीश छिम्पा
पुराना वार्ड न.३
त्रिमूर्ति के पीछ, सूरतगढ़ (राजस्थान)
दूरभाष- ०९८२९६-७६३२५
आभार इन उम्दा रचनाओं को प्रस्तुत करने का.
ReplyDeleteशब्द-
ReplyDeleteजहां थक जाते हैं
हारते हैं
एक
सन्नाटा !
निःशब्द
मैं पसर जाता चहुँदिश |
बातें-
फिर भी होतीं
आँखों की भाषा
प्रीत के शब्दों में |
सभी कविताये बहुत सुंदर भाव लिए हुए है,..ह्रदय के गहरे तल को छूती हुई मन मष्तिष्क के धरातल अंकित हो गई ...बधाई
कविताएं ध्यान खींचती हैं। थोड़ी और मंजावट की दरकार है।
ReplyDeleteमन को गहरे तक छू गई एक-एक पंक्ति...
ReplyDeleteएक-एक शब्द.... सुन्दर बिम्ब प्रयोग....
सभी सार्थक रचनाएं.
sabhi rachnaayen bahut sundar, shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteSundar rachnayen...
ReplyDeleteअच्छी गद्य कविता के उदाहरण।
ReplyDeleteवाह नरेन्द्र जी....सतीश बाबू ... कवि भी अच्छे है और कथाकार भी... शुक्रिया ..यहां पढ़वाने का।
ReplyDeleteसुन्दर कविताएँ
ReplyDeletebahut gehre arthon se saji kavitaen hain,badhai.
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति बधाईयाँ !
ReplyDeleteकवितायें बरबस मन में उतर जाती हैं ... बहुत ही लाजवाब ...
ReplyDeleteसुंदर भाव!
ReplyDeletegahre bhav chhupe hai in laghu rachnaon mein..
ReplyDeletebahut sundar rachnayen..
अहसास को अल्फाजों की पेहरन देकर तन्हाई की धूप में जलने से से बचा लिया जैसे आपने दिल को .. सतीश जी की चारों रचनाओं में दिलकी भावनाएं बड़ी ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त हुई है! बधाई !1
ReplyDeleteबेहद सुन्दर शब्द
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