सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
मफ़ऊलु ,फ़ाइलातुन , मफ़ऊलु .फ़ाइलातुन
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१
अपने वतन की ख़ुशबू ,फैली है कुल जहाँ में
रौशन हुए हैं तारे, धरती के आसमाँ में
हर पत्ता है अनूठा,हर गुल की छवि निराली
सौ रंग के ये बूटे हैं, किसके गुलसिताँ में
धामे हुए हैं सब ही, इक दूसरे के बाज़ू
चेहरे अलग- अलग हैं,वैसे तो कारवाँ में
इतिहास की जबाँ पर,ज़िंदा रही है अब तक
इक दास्ताँ हमारी. दुनिया की दास्ताँ में
नादान हैं वो "आज़र" जो जानते नहीं हैं
यदि शँख में है जादू, तो रंग हैं अजाँ में
२
अपने लहू से सींचो ,अब प्यार के चमन को
जड़ से उखाड़ फेंको ,तुम नफरतों के वन को
ये विश्व है तुम्हार ,ये विश्व है तुम्ही से
धरती को जगमगाओ ,रौशन करो गगन को
माना है काम मुश्किल ,पर कर सको तो कर लो
खुद को बदल के देखो, पूरा करो वचन को
धरती पे बोझ बन कर ,जीने से क्या है हासिल
कुर्बान हक़ पे करदो ,मिटटी के तन- बदन को
चमकेगा तू भी "आज़र" ,तारों के साथ नभ में
चुप-चाप सह सका गर जीवन की हर तपन को
आभार
आपका अपना
पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteनादान हैं वो "आज़र" जो जानते नहीं हैं
यदि शँख में है जादू, तो रंग हैं अजाँ में
***
धरती पे बोझ बन कर ,जीने से क्या है हासिल
कुर्बान हक़ पे करदो ,मिटटी के तन- बदन को
वाह...बेजोड़ ग़ज़लें...हर शेर बेहतरीन.
नीरज
वाह..!!
ReplyDeleteनादान हैं वो "आज़र" जो जानते नहीं हैं
ReplyDeleteयदि शँख में है जादू, तो रंग हैं अजाँ में...
यादों में बस जाने वाला शेर...
दोनों ग़ज़लें बेहद उम्दा...बधाई
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
इतिहास की जबाँ पर,ज़िंदा रही है अब तक
ReplyDeleteइक दास्ताँ हमारी. दुनिया की दास्ताँ में
bahut khub
ek ek sher moti hai .
rachana
बहुत खूब…हर शेर मोती सा है…
ReplyDeleteआप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
ReplyDeleteआज़र