कुछ दोहे- सुभाष नीरव

(1)

राह कठिन कोई नहीं, मन में लो यदि ठान।
परबत भी करते नमन, थम जाते तूफ़ान॥

(2)

जब तक सागर ना मिले, नदी नदी कहलाय।
जिस दिन सागर से मिले, नदी कहाँ रह जाय॥

(3)

हमने तो बस प्रेम से, दी उसको आवाज़।
जग ने देखा चौंक कर, लोग हुए नाराज॥

(4)

प्रेम नहीं सौदा यहां, ना कोई अनुबंध।
प्रेम एक अनुभूति है, जैसे फूल सुगंध॥

(5)

छल, कपट और झूठ से, जो शिखरों पर जाय
जब गिरे वो धरती पे, उठ कभी नहीं पाय॥

(6)

आया कैसा ये समय, जग में देखो यार।
सच्चे को लाहनत मिले, झूठे को जयकार॥

(7)

जिनकी खातिर हम लड़े, जग से सौ-सौ बार।
वो ही करते पीठ पर, छिप कर गहरे वार॥
***


नाम : सुभाष नीरव
जन्म : 27-12-1953, मुरादनगर(उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : स्नातक।
प्रकाशित कृतियाँ : तीन कहानी संग्रह, दो कविता संग्रह, एक बाल कहानी संग्रह। पंजाबी से लगभग डेढ़ दर्जन से भी अधिक पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद।
ब्लॉग्स : साहित्य और अनुवाद से संबंधित अंतर्जाल पर ब्लॉग्स- सेतु साहित्य, कथा पंजाब, साहित्य सृजन, सृजन यात्रा, गवाक्ष और वाटिका।
सम्प्रति : भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी।
सम्पर्क : 372, टाइप-4, लक्ष्मीबाई नगर, नई दिल्ली-110023

ई मेल : subhashneerav@gmail.com

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

10 Responses to कुछ दोहे- सुभाष नीरव

  1. जिनकी खातिर हम लड़े, जग से सौ-सौ बार।
    वो ही करते पीठ पर, छिप कर गहरे वार॥

    ReplyDelete
  2. Sabhi dohe bahut ache hain bahut-bahut badhai...

    राह कठिन कोई नहीं, मन में लो यदि ठान।
    परबत भी करते नमन, थम जाते तूफ़ान॥

    ye bahut pasnd aayaa

    ReplyDelete
  3. भाई इरशाद जी ने मेल द्वारा अपनी प्रतिक्रिया प्रेषित की-
    इन बह्तरीन दोहो के लिये सुभाष निरव जी को बधाई !

    ReplyDelete
  4. जिनकी खातिर हम लड़े, जग से सौ-सौ बार।
    वो ही करते पीठ पर, छिप कर गहरे वार॥

    sabhi dohe behtareen, saamyik aur saargarbhit. shubhkaamnaayen.

    ReplyDelete
  5. सम्मानिया देवी नागरानी जी ने अपनी टिपण्णी मेल द्वारा प्रेषित की, शायद किसी तकनीकी खामी के चलते टिपण्णी प्रेषित नहीं हो पाई थी-

    Narendra ji
    AAkhar kalsh par is vidha ko dekhkar bahut hi annad mila
    har doha arthpoorn, sandesh poorn, utsaahvardak
    Subash Neerav ji ke sabhi dohe atyant sunder manobhavon ko liye hue hai.
    Tippni site par do baar post ki par lagta hai sweekari nahin gayi
    sadar
    Devi nangrani

    ReplyDelete
  6. dohe likhna asan nahi .aap kaese likh lete hain fir itne achchhe jo ki barson yad rahen
    bahut bahut sunder
    राह कठिन कोई नहीं, मन में लो यदि ठान।
    परबत भी करते नमन, थम जाते तूफ़ान॥
    kamal
    जिनकी खातिर हम लड़े, जग से सौ-सौ बार।
    वो ही करते पीठ पर, छिप कर गहरे वार॥
    sach ek dam sach kaha hai aapne
    saader
    rachana

    ReplyDelete
  7. सभी दोहे अच्छे लगे।

    नीरव जी को बधाई !

    मुझे लगता है इस दोहे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, संभवतः टायपिंग में शब्द आगे पीछे या कुछ छूट/ जुड़ गया है, छंद भंग हो रहा लगता है।

    छल, कपट और झूठ से, जो शिखरों पर जाय
    जब गिरे वो धरती पे, उठ कभी नहीं पाय॥

    ReplyDelete
  8. जी कविता जी, आपने सही कहा है। भाई लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी ने भी इस ओर संकेत किया है- दोहा शायद सही रूप में इस प्रकार होना चाहिए -
    झूठ और छल-कपट से, जो शिखरों पर जाय
    जब वो धरती पे गिरे, कभी नहीं उठ पाय॥

    भरत जी, भावना जी, इरशाद जी, जेन्नी जी, देवी नांगरानी जी, रचना जी का भी आभारी हूँ जिन्होंने अपनी राय से अवगत कराया।
    सुभाष नीरव

    ReplyDelete
  9. नीरव जी,
    आपने टिप्पणी को अन्यथा नहीं लिया और सही संदर्भ में ही लिया, तदर्थ आभारी हूँ। आपका बड़प्पन है। इत्मीनान हुआ। सधन्यवाद।

    ReplyDelete
  10. नमस्कार ,
    राह कठिन कोई नहीं, मन में लो यदि ठान।
    परबत भी करते नमन, थम जाते तूफ़ान॥ वाह ---------सभी दोहे एक से बढाकर एक . बधाई,

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.