Painting by Picasso |
नयन हैं
फिर भी मन में
मृदुता
रखकर मुस्काती,
अपने
नयनों की
बना अल्पना
नभ को
रंगकर सुख पाती|
**
संचय
मेरे तुम्हें समर्पित
पीर ना
अपनी दे पाऊँगी ।
मेरे अश्रु
हैं मेरी थाती
जीवन भर
की रही कमाई,
नयनों की
है तृषा बुझानी
अंतर्मन
Painting by Picasso |
अंतर का
ये नीर मेरे मीते!
तुमको
ना दे पाऊँगी|
विष या अमृत
अंतर क्या अब
श्वासें
जैसे मोल चुकायें.
पंछी बनकर
प्रीत उड़ गयी
सुर धड़कन
में कौन सजाए,
नीरव क्षण
का गीत मेरे मीते !
तुमको
ना दे पाऊँगी
संचय
मेरे तुम्हें समर्पित
पीर ना
अपनी दे पाऊँगी।
**
कौन जो
गाथा प्रणय की
कहके
सुनके जायेगा,
कौन जो
मन की व्यथाएँ
आके
अब सहलायेगा,
प्रेम वंदन,
प्रेम चंदन,
प्रेम जीवन गान है,
बिन तुम्हारे
सुर सजीला
एक ना हो पायेगा |
है विकट
ये साधना पर
प्रेम
सहज अनुभूति है ,
Painting by Picasso |
हो रही इस
जगती
की अभिव्यक्ति है,
प्रेम ही
जब मूक बोलो
कौन
किसको गायेगा,
एक है
जो हममें तुममें
एक ना हो पायेगा |
है इती
और अथ में जो भी
प्रेम का
बस खेल है,
कितनी
अनगिन हैं भुजाएं
प्रेम का
बस मेल है,
प्रेम बिन
कैसा जगत ये
काठ
बन रह जायेगा,
होगा
अभिशापित ये जीवन
जीव
ना गा पायेगा|
***
कोटिश: आभार व्यास जी,
ReplyDelete" मन तुम हरी दूब रहना " की पहली झलक
मुझे भाव-विभोर कर गयी..
सच कहूँ तो कृति भी शिशु वत स्नेहमयी होती है
ऐसा मुझे यहाँ आभास हुआ ...
अपनी कवितायेँ देखकर...
एक बार फिर से आभारी हूँ "आखर कलश" की .
शुभ कामनाएँ
गीता पंडित
ati sundar..sundarabhivyanjana
ReplyDeleteवाह!! बहुत गहन अभिव्यक्तियाँ...आभार गीता जी को पढ़वाने का.
ReplyDeleteबहुत खूब, भावनाओं की बहुत प्यारी अभिव्यक्ति, बधाई गीता जी |
ReplyDeleteGeeta jee ko achchhi kavitaon ke liye badhai
ReplyDeletegeeta ji bahut hi sunder abhivyakti hai bhavon ki
ReplyDeletebahut bahut badhai
rachana
aaj pehli baar aapke blog per ayee hoon sabhi rachnayein sunder agi
ReplyDeleteपीर ना
ReplyDeleteअपनी दे पाऊँगी- तीनों कविताएँ बहुत अच्छी लगी गीता जी.
तीनों प्रभावशाली रचनाएँ - बहुत सुंदर - गीता जी को बधाई
ReplyDeleteकोमल भावों को आकार देती अच्छी कविताएं हैं, जो अपनी बुनावट में नवगीत का आस्वाद देती हैं। बधाई गीताजी को।
ReplyDeleteगीता जी की कविताएं प्रभावित करती हैं।
ReplyDeletegeeta ji ki rachnaayen gahan anubhooto liye huve hain ... shukriya padhwaane ka ...
ReplyDeleteअच्छी कविताओं के लिए गीता जी को बधाई !
ReplyDeleteतीनों कविताएं किसी गीत से कम नहीं !
बहरी एवम भीतरे लय प्रभावित करती है !
आप सभी मित्रों ने मेरे लेखन को पसंद किया
ReplyDeleteइसके लियें मैं हृदय से आभारी हूँ...
सभी को शुभ-कामनाएँ
गीता पंडित
Geeta pandit ji Aap ki kavitiya Estri Anterman ko khul ker Abhiveykt kerti h,Aap n bhut hi payara or paviter likha h,Aap k sewado m ek takt h,jo dil bhiter tek ther jati h,Aap ko is sunder or kuch souchne ko mazbur krne wali kavita k liye sadhu-bad deta hu,Aap ki lekhni m yu hi tajgi beni rehy.
ReplyDeleteहृदय से आभार नरेश जी |
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