कुछ कविताएं : नवनीत पाण्डे

.
जीवन भर
जीवन की किताब के
अपरिचित पाठ्यक्रम के
अपठित अध्याय
बार-बार पढने के बावजूद
बीत जाते हैं हम
उन अध्यायों के
अनुत्तरित प्रश्नों के
उत्तर ढूंढते-ढूंढते

.
सूरज के आने भर से
नहीं होता
सुबह का होना
ही नींद से उठ बैठना
सुबह होना है
उठता हूं नींद से
देखने के लिए एक सुबह
एक सुबह देखना चाहती है
मुझे नींद से उठते हुए
.
हर नदी की किस्मत में
नहीं समंदर
परंतु हर नदी में भरे हैं
अथाह समंदर
सूख जाएं भले ही
रास्ते धार के
पर बहती है
एक अविरल धार
.
झर झर
झर गयी
कुछ भी रहा शेष
सिवा एक स्मृति के
झरने के
.
उसके आने में कुछ था
ही उसके जाने में
लेकिन
इस आने-जाने के बीच
जो था
वह कभी
किसी
शब्द में नहीं समा पाया
.
कितने अच्छे दिन थे
जब अच्छे हम थे
अच्छा अच्छा लगता था
सब कुछ
लोग भी थे
अच्छे अच्छे
कितने बदल गए दिन अब
बदल गए हम
बदल गया सब कुछ
बदल गए सब



नवनीत पाण्डे
जन्म: 26 दिसंबर 1962
हिंदी और राजस्थानी में समान गति से लेखन ।
'सच के आस-पास' हिंदी कविता-संग्रह (राजस्थान साहित्य अकादमी से सुमनेश जोशी पुरस्कार से सम्मानित)
'माटी जूण' (राजस्थानी उपन्यास)
बाल साहित्य की कई पुस्तकें प्रकाशित ।
हिन्दी कविता-संग्रह ’छूटे हुए संदर्भ’ और राजस्थानी कहानी-संग्रह प्रकाशनाधीन ।
सम्पर्क : "प्रतीक्षा" २ डी २, पटेल नगर, बीकानेर(राज) मोबाइल : 0919413265800
email : poet_india@yahoo.co.in और poet.india@gmail.com
blogs : www.poetofindia.blogspot.com और www.hindi-k-sms.blogspot.com

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11 Responses to कुछ कविताएं : नवनीत पाण्डे

  1. सभी कविताएँ बहुत सुन्दर हैं | धन्यवाद|

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  2. अच्‍छी कविताएं हैं। हरेक में किसी एक शब्‍द का बार बार प्रयोग चमत्‍कृत करता है।

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  3. सभी कविताएँ बहुत सुन्दर हैं
    आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  4. नवनीत जी, बहुत मार्मिक हैं आपकी कविताएं... चुप हो जाने के बाद बोलने वाली। हर कविता अपने वाक्‍यांत के बाद गूंजनी शुरू होती है... बहुत-बहुत बधाई...

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  5. Ati Sundar kavya kritiyan..padh kar achha laga.

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  6. बेहतरीन शब्‍दानुप्रयोग, ठिंगनी किंतु विस्‍त़त फैलाव की अनुभूति वाली उत्‍क़ष्‍ट रचनाएं, साधुवाद

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  7. उठता हूं नींद से
    देखने के लिए एक सुबह
    एक सुबह देखना चाहती है
    मुझे नींद से उठते हुए
    sunder abhivyakti
    उसके आने में कुछ न था
    न ही उसके जाने में
    लेकिन
    इस आने-जाने के बीच
    जो था
    वह कभी
    किसी
    शब्द में नहीं समा पाया
    bahut khub
    badhai
    rachana

    ReplyDelete
  8. BAHUT ACHCHHE PANDEY JI..ACHCHHI KAVITAAYEIN HAIN...!

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  9. नवनीत जी की सारी कवितायेँ भाव प्रवण .. व गूढ़ अर्थों को समेटे हुवे है ... बारिश की पहली छोटी छोटी फुहारों की तरह .तन मन भिगोती हुई रचनाएँ .

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  10. बहुत ही बढ़िया..
    छोटे कलेवर की किन्तु प्रभावी और भावप्रवण अभिव्यक्ति..
    गागर में सागर भरती सशक्त कविताएँ..
    बधाई..

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन रचनायें.

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