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-प्राण शर्मा
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आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
ReplyDeleteआदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
bahut achchha sher
badhai
saader
rachana
सोचना पड़ता है हर पहलू को सब के दोस्तो
ReplyDeleteफैसला हर एक जल्दी में किया जाता नहीं
-वाह!!
प्राण जी की गज़लें हमेशा प्रभावित करती हैं...बेमिसाल!!
सोचना पड़ता है हर पहलू को सब के दोस्तो
ReplyDeleteफैसला हर एक जल्दी में किया जाता नहीं
वाह,
आद. प्राण साहब, क्या शेर दिया है आपने
यही वो हुनर है जो किसी किताब से नहीं,
बल्कि तजरिबों से हासिल होता है
आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
आदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
बहुत उम्दा, हासिले-ग़ज़ल शेर है.
बेमिसाल ग़ज़ल का बेमिसाल शेर:
ReplyDeleteआप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
आदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
वाह साहब वाह।
आपकी इज़ाज़त से एक शेर पेश करता हूँ कि:
तुम नहीं पर जी रहा हूँ फिर भला कैसे कहूँ
वो नहीं तो एक पल भी अब जिया जाता नहीं।
आदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं-
ReplyDeleteदिल को छू गई पंक्तियाँ...
...आदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
ReplyDeleteदिल को छू गई
आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
ReplyDeleteआदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
यूं तो हर पंक्ति अपने आप में बेमिसाल है,
पर यह पंक्तियां लाजवाब करती हुई ... ।
दिल को लेने-देने की क्या बात करते हो जनाब
ReplyDeleteप्यार में अनुबंध कोई भी किया जाता नहीं
वक़्त क्यों बर्बाद करते हो, चलो छोड़ो इसे
खस्ता हालत में कोई कपड़ा सिया जाता नहीं
अपने शब्द कौशल से मन्त्र मुग्ध करने में आदरणीय प्राण साहब को महारत हासिल है, कहन की सादकी उनकी खासियत है जो पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखती है. अपने अशआर से ज़िन्दगी के कडवे मीठे अनुभवों को वो बखूबी वाकिफ करवाते हैं और ज़िन्दगी जीने की कला को सिखलाते हैं. उम्र के इस दौर में भी उनकी ऊर्जा अनुकरणीय है. इश्वर से हमेशा प्रार्थना करता करता हूँ के वो हमेशा स्वस्थ रहें और अपने कलाम से हमें ज़िन्दगी के रंग यूँ ही दिखलाते रहें.
नीरज
आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
ReplyDeleteआदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
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bemisal gazal, bemisal bombon ka prayog...
आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
ReplyDeleteआदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं ...
प्राण साहब की कलम जब चलती है कमाल करती है ...
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है ... बुत मासूमियत से अपनी बात को रक्खा है ... सच है दिल पढना आसान नहीं होता .... बहुत ही उम्दा शेर ...
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
बहुत बहुत बहुत बहुत ही अच्छी ग़ज़ल शर्मा जी
ReplyDeleteइसे पढ़वाने के लिए दिल से शुक्रिया
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
आदरणीय प्राण जी शर्मा को सादर प्रणाम !
ReplyDeleteइन दिनों मेरी मां का स्वास्थ्य सही न होने की वजह से नेट पर कम ही सक्रिय हूं … लेकिन
प्राण जी से मन का ख़ास रिश्ता होने के कारण आपकी रचना कहीं भी पढ़ने को मिल जाए तो पढ़ता अवश्य हूं …हां , कई बार वहां अपनी उपस्थिति दर्ज़ नहीं करवा पाता …
प्रस्तुत ग़ज़ल बहुत पसंद आई ।
आमफ़हम लहजे के साथ सादा ज़ुबान-ओ-अंदाज़ में कही गई
इस ग़ज़ल का हर शे'र अपनी ता'रीफ़ ख़ुद आप है …
कोई एक शे'र कोट करने से मन नहीं भरेगा …
मन रंजन के लिए
दिल को लेने-देने की क्या बात करते हो जनाब
प्यार में अनुबंध कोई भी किया जाता नहीं
इस ख़ूबसूरत शे'र को अपने साथ लिए जा रहा हूं
हार्दिक बधाई !
हार्दिक मंगलकामनाएं !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
kammal ki najm ji ,pahali bar padha aapko ,bahut achha laga dil ki gahrayiyon men utarati huyi rachana .aise rachanakoron ki bahut kami hai ,
ReplyDeletehridaya se aabhar ji ,
हर एक शेर में एक सीख है । बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteआप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
ReplyDeleteआदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
वाह!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
दिल को लेने-देने की क्या बात करते हो जनाब
ReplyDeleteप्यार में अनुबंध कोई भी किया जाता नहीं....
बहुत मासूम-सा शेर....
प्राण शर्मा जी को हार्दिक बधाई...
बहुत उम्दा गज़ल
ReplyDeleteदिल को लेने-देने की क्या बात करते हो जनाब
ReplyDeleteप्यार में अनुबंध कोई भी किया जाता नहीं
...
बेहतरीन गज़ल..हरेक शेर लाज़वाब
sabhi sher bahut bahut badhiya. Pran ji ko badhai.
ReplyDeleteजीने वाले जी रहे हैं ज़िन्दगी को बरसों से
ReplyDeleteआप हैं कि आप से इक पल जिया जाता नहीं
आदरणीय प्राण साहब के क्या कहने - बस उन्हें पढ़कर आनन्दित होता हूँ - उन्हें प्रणाम।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
वक़्त क्यों बर्बाद करते हो, चलो छोड़ो इसे
ReplyDeleteखस्ता हालत में कोई कपड़ा सिया जाता नहीं
Pranji
nazukta se buni hui shabdon se saji sunder ghazal padhwane ke liye bahut bahut dhanywaad. har sher apne aap mein bemisaal takeed, mashwara, margdarshan sabhi rahein khuli hui hai.