भरत तिवारी की कविताएँ


एक

कोई शब्दों का जाल नहीं है
तुम्हारे लिए तो बुन भी नहीं सकता
तुम ने वो ब्रेल सीखी है
जो मेरे मन को पढ़ ले

दो

मैं तुमसे झूठ नहीं बोल सका
सच कह नहीं पाया
तुम फिर भी सब पढ़ सकी
समझ भी मुझे
सिर्फ तुम ही पायी

तीन

आखिर तुम्हारे बालों में है क्या
क्यों बंधा नहीं देख पाता
अलग हूँ शायद इसलिए
उन्हें खुला देख
अपने को पा लेता हूँ
मत बाँधा करो मुझे

चार

कुछ नोस्टाल्जिया शायद डेजा वू होते हैं
तुम्हारी याद
तुम
उन पेड़ों के साये
महक तुम्हारी , वो भी
लिस्ट काफी लंबी है

पांच

अब कैसे कहूँ
हिचकी आती है तो पानी नहीं पीता
तुम्हे याद करने का बहाना है
जब आखरी आएगी
तब गंगाजल पिला देना

छः

शहर शायद वैसा ही है
जाओ तो नए चेहरे हैं
ऐसा नहीं है ,पुराने भी हैं
हाँ
तुम और मैं
दोनों नहीं है
या एक साथ नहीं होते
मर गया वो शहर
जहाँ हम साथ थे

सात

बारिश से लगाव
नहीं गया
जायेगा भी नहीं
तुम होते हो ना उसकी हर बूँद में
मैं अपनी अंजुली में भर लेता हूँ
तुमको
हर बारिश में
भीगा देता हूँ अपनी शर्ट को तुमसे
बादलों ! तुम्हारा शुक्रिया
***
भरत

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18 Responses to भरत तिवारी की कविताएँ

  1. अच्छी कविताएं। नए प्रतीक। शानदार भरत जी।

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  2. भारत भाई मेरे पार अपने विचार व्यक्त करने को शब्द नहीं बचे...कवितायेँ इतनी अच्छी हैं की दिल को गहरे तक छू लेती हैं.. समझ नहीं आ रहा किस कविता के लिए क्या कहूँ ..सभी बहुत अच्छी हैं ....बस इतना कह सकती हूँ बहुत सुंदर हैं..बहुत बहुत बधाई

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  3. this one is really too emotional beautiful words..dil ke zazbaat bahut sunder tarekkey se zaahir kiye gaye hein..bahut khoob dost

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  4. भरत तिवारी जी की सातों कविताएँ सात रंग लिए हुए हैं...सभी एक से बढ़ कर एक...

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  5. Bohat khoob likha hai Bharat Bhai ji......

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  6. मैं तुमसे झूठ नहीं बोल सका
    सच कह नहीं पाया
    तुम फिर भी सब पढ़ सकी
    समझ भी मुझे
    सिर्फ तुम ही पायी

    अब कैसे कहूँ
    हिचकी आती है तो पानी नहीं पीता
    तुम्हे याद करने का बहाना है
    जब आखरी आएगी
    तब गंगाजल पिला देना

    भरत तिवारी जी की सभी कवितायेँ दिल को छू गयी ! ये दो तो रूह को छू गयी ! बहुत शुभकामनाये !!!!!

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  7. लाजवाब क्षणिकाएँ......बधाई.....

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  8. पांच

    अब कैसे कहूँ
    हिचकी आती है तो पानी नहीं पीता
    तुम्हे याद करने का बहाना है
    जब आखरी आएगी
    तब गंगाजल पिला देना
    bahut khub...................bahut acchi abhivykati...

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  9. bahut khoob likaha hai...
    aise hi likhte rahen .sadhuwaad avadesh tripathi

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  10. ऐसा लगता है किसी लम्बी यात्रा पर निकल गए हैं अंत में स्वयं को पुनः घर पर ही पाते हैं! कमाल है भरत जी !! लाज़वाब !!

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  11. sundar rachnayen hai dil se nikli hain aur dil main utarati hai................

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  12. सुन्दर सुन्दर और खास ..

    बारिश से लगाव
    नहीं गया
    जायेगा भी नहीं
    तुम होते हो ना उसकी हर बूँद में
    मैं अपनी अंजुली में भर लेता हूँ
    तुमको
    हर बारिश में
    भीगा देता हूँ अपनी शर्ट को तुमसे
    बादलों ! तुम्हारा शुक्रिया

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  13. भाई आप तो नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. आपको बहुत शुभकामनाएं.!!

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  14. देखने पर लगता है की कोई भी अशार हो या कविता या शेर या नज़्म हो वो गहरी नहीं मालूम पड़ती पर जिस तरह इत्र की खुशबू ढक्कन हटाने के कुछ देर बाद ही कोने कोने मैं महसूस की जा सकती है वोही असरात पैदा हो जाते हैं गोया की ये आपकी खुशबू शरीर (आँखों से- तन) से दिल (मन) पर हावी हो हो जाती है और आखिर मैं पता चलता है की वो रूह तक असर कर गयी है ......... मन मष्तिस्क मैं झंझावत पैदा होकर रूह तक उतर जाता है ......... आप को साधुवाद है की आप रूह तक का सफर बहुत ही आराम से कर पातें हैं ...... मैं धन्य हूँ की मैं आपका छोटा भाई हूँ और आपसे रोज कुछ सीखता हूँ .....

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  15. सभी क्षणिकाएं सुन्दर और सारगर्भित ! भारत भाई बधाई स्वीकार करें !

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  16. absolutely truthful honest sweetes sensitive expression of YAADEIN..

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  17. ब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
    इस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
    हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
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