नाम- नीलेश माथुर
पिता का नाम- श्री शंकर लाल माथुर
माता का नाम- वीणा माथुर
जन्म स्थान- बीकानेर
आप फिलहाल गुवाहाटी में रहकर व्यापार कर रहे हैं साथ ही आपकी रचनाएं यहाँ की स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है!
पता- नीलेश माथुर,
देवमती भवन,
ए.के.आजाद रोड, रेहाबारी,
गुवाहाटी-८
मेरे पैर का अंगूठा
अक्सर मेरे
फटे हुए जूते में से
मुह निकाल कर झांकता है
और कहता है...
कम से कम अब तो
रहम करो
इस जूते पर और मुझ पर
जब भी कोई पत्थर देखता हूँ
तो सहम उठता हूँ ,
इतने भी बेरहम मत बनो
किसी से कर्ज ले कर ही
नया जूता तो खरीद लो !
मेरी कमीज
जिसकी जेब
अक्सर खाली रहती है
और मेरी कंगाली पर
हंसती है,
मैं रोज सुबह
उसे पहनता हूँ
रात को पीट पीट कर
धोता हूँ
और निचोड़कर सुखा देता हूँ
शायद उसे
हंसने की सजा देता हूँ !
मेरी पतलून
जो कई जगह से फट चुकी है
उसकी उम्र भी
कब की खत्म हो चुकी है,
फिर भी वो बेचारी
दम तोड़ते हुए भी
मेरी नग्नता को
यथासंभव ढक लेती है,
परन्तु फिर भी
मैं
नयी पतलून खरीदने को आतुर हूँ !
आज फिर से
मेरा ट्रांजिस्टर
याचना सी कर रहा है मुझसे
अपनी मरम्मत के लिए,
एक समय था
जब बहुत ही सुरीली तान में
वो बजता था
और मैं भी
उसके साथ गुनगुनाता था,
पर आज
मरघट सा सन्नाटा है
मेरे घर में
बिना ट्रांजिस्टर के !
मेरे घर का फूलदान
जिसे मैंने
नकली फूलों से सजाया है,
अक्सर मुझे
तिरछी नज़रों से देखता है,
मानो कह रहा हो....
कि तुम भी
इन्ही फूलों जैसे हो
जो ना तो खुश्बू देते है
और ना ही
जिनकी जड़ें होती है !
सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
ReplyDeletezindgi ki sachaiyo ko vykt krti aapki choti -2 kavitaye achhi lgi khaskr meri kmij or mera jota meri badhiyi ......
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