नाम: पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
जन्म :3 मार्च 1956 बिजनौर :उ०प्र०
पिता :स्व कस्तूरी लाल जी अब्बी
माता :स्व कृष्णा जी अब्बी
भू्तपूर्व : चेयरमैन कंसैन्ट कैमिकल्स (रजि०) बिजनौर उ०प्र०
भू्तपूर्व : मैनेजिगं डारेक्टर जय भारत गुडस ट्रांसपोर्ट क०
1538-39 एस.पी.मुखर्जी मार्ग निकट नावलटी सिनीमा दिल्ली-6
विधा : ग़ज़ल ,दोहा ,रूबाई!
लगभग बयालिस(42)बह्रों में ग़ज़लें कहने की महारत हासिल !
ग़ज़ल यात्रा-२ संग्रह में पांच ग़ज़लें प्रकाशित !
काव्य गंगा त्रैमासिक पत्रिका में ग़ज़लें प्रकाशित
काव्य गंगा त्रैमासिक पत्रिका में सह संम्पादक !
पत्र-पत्रिकाओं में अनेको बार रचनाएं प्रकाशित
महकते उजाले हिन्दी-उर्दू काव्य संग्रह में पांच ग़ज़लें प्रकाशित !
अक्षरम संगोष्ठी त्रैमासिक पत्रिका में अनेको बार ग़ज़लें प्रकाशित !
नजीबाबाद साहित्य एकड्मी द्वारा समान्नित !
आकाशवाणी नजीबाबाद से अनेको बार रचनाएं प्रसारित !
ग़ज़ल और उसका व्याकरण संग्रह में, परिचय व चंद शेर तथा एक रचना प्रकाशित !
एकडमी ओफ़ फ़ाइन आर्ट एण्ड लिट्रेचर (सार्क) दिल्ली मंन्च से ग़ज़लों का पाठन !
पंजाबी भवन दिल्ली (आई .टी .ओ) द्वारा अदबी शाम में पंजाबी की ग़ज़लों का पाठन !
मंचो से काव्या पाठ तथा अनेको बार कवि गोष्ठियों में शिरक्त करने का सौभाग्य प्राप्त !
दोहा :समय की शिला पर, दोहा संग्रह में दोहे प्रकाशित !
ब्रम्हाशक्ति आर-१८ बुद्ध विहार दिल्ली द्वारा सम्मानित अभिनन्दन !
दिल्ली दूरदर्शन उर्दू चैनल से ग़ालिब अपार्टमेन्ट द्वारा प्रोग्राम प्रसारित में शिरक्त करना !
गत चार वर्षों हल्का-ए-तशनगाने-अदब संस्था द्वारा संचालित हर महा गोष्ठियों में शिरक्त करना !
ग़ालिब एकड्मी निजामुद्दीन दिल्ली द्रारा प्रोग्राम प्रसारित में शिरक्त करना !
अशोक विहार राम लीला कमेटी के लीला अध्यक्ष श्री कुलदीप राज जोशी द्वारा
राम लीला मंच से कवि अभिन्नदन !
अखण्ड हिन्दु मोर्चा दिल्ली द्वारा शहीद भगत सिहं के जन्म दिवस पर कवि सम्मानित अभिनन्दन !
सफ़र जारी है, सावनियर में हल्का-ए-तशनगाने-अदब द्वारा 6 ग़ज़लें प्रकाशित !
भारत-एशियाई साहित्य अकादमी में ग़ज़लें प्रकाशित !
(आज़र) यह खिताब हल्का-ए-तशनगाने-अदब दिल्ली द्वारा चार सौ वीं अदबी
शाम सफ़र जारी है, सावनियर के इजरा के समय प्रदान किया गया !
प्रकाशन हेतु : दो उर्दू-हिन्दी की ग़ज़लों के संग्रह (दीवान- ए -आज़र)एक पंजाबी की ग़ज़लों का संग्रह !
प्रकाशन हेतु : कविता संग्रह: (आओ बच्चो कदम बढ़ायें)
प्रकाशन हेतु : ज्ञानवर्धक पहेलियां (नाम बताओ इसका क्या)
अन्य उपलब्धियां :-
जिला बिजनौर लायंस कल्ब द्वारा आयोजित (ornamental plants ) की प्रदर्शनी में
अलग-अलग किस्म के पौधों के लिए नौ (9) -प्रथम पुरस्कार विजेता !
श्री राम रिसर्च इन्सिट्यूट दिल्ली द्वारा (स्काई फ़ोम) नामक अति उत्त्तम लिक्विड डिटर्जेंट
शोध O C H 2 C H 2 , O H conforms to Is : 4956 -1977 हेतु दिनाक 23 -12- 1992 को परमाणित किया गया !
(योग साधना) के माध्यम से जीवन कला (Art of living) का ज्ञान अवगत करवाने में दक्षता हासिल !
ग़ज़ल व दोहा की विधा का ज्ञान अवगत करवाने में दक्षता हासिल !
दिनाक: 27-28 जनवरी 2011 को मैनेजमेंट एजुकेशन एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट- 53-54 ,इंस्टीट्यूशनल एरिया जनकपुरी नई दिल्ली में
आई.पी,यूनिवर्सिटी दिल्ली द्वारा कल्चरल प्रोग्राम आयोजित करवाया गया तथा इसके अंतर्गत आने वाले लगभग आठ कॉलिजों
ने भाग लिया ! कल्चरल प्रोग्राम हेतु आई.पी,यूनिवर्सिटी द्वारा माननीय जज नियुक्त किए जाने का गौरव हासिल !
समझेगा कौन हमको इतना जरा बता दो
किस बात पे हैरां हो इतना ज़रा बता दो
देखा है जब से तुमको दिल तुम पे आ गया है
जाएं तो किस जहां को इतना ज़रा बता दो
हमसे ख़फ़ा न होंगे वादा किया था तुमने
ख़ामोश क्यूं हुए हो इतना ज़रा बता दो
कहना है जितना आसां मुश्किल है क्य़ूं निभाना
हम पूछते हैं तुमको इतना ज़रा बता दो
ख़ामोश हैं निगाहें गुमसुम सी क्यूं तुम्हारी
"आज़र" ज़रा सा ठहरो, इतना ज़रा बता दो
***
ज़रा सा पास आओ तो , नज़र को भी नज़र आए
है कितनी रात यह काली, कहीं बिजली चमक जाए
मुहब्बत है अगर सच्ची, तो उसको नाम क्या देना
जिधर भी सांस लोगे तुम, हवा ख़ुशबू सी महकाए
लिखेगें नाम अपना हम, समुंदर की यूं लहरो पे
न आँधी ही, तूफाँ कोई, न बारिश ही मिटा पाए
किसी शायर के अच्छे शेर पे, जब दाद मिलती है
कली सिमटी हुई जैसे, चमन में फ़ूल बन जाए
मना लेंगे तुम्हे"आज़र",ख़फ़ा किस बात से हो तुम
सुना है जब तलक है जाँ, न होते हैं जुदा साए
***
फ़ुर्सत के पल निकाल कर, मिलता ही कौन है
अपनो में अपना दोस्तों, अपना ही कौन है
अरसा गुज़र गया , हमे ख़ुद से मिले हुए
इक हमख़याल आज-कल, मिलता ही कौन है
दिन भर रहे वो साथ यह कोशिश तमाम की
सूरज के जैसा ,शाम तक ,ढलता ही कौन है
नंगे बदन को ढांप दे ,ग़ुरबत की जात को
चादर भी इस मिज़ाज़ से , बुनता ही कौन है
जो भी मिला है हमसफ़र, राहों में रह गया
धूमिल पथों पे साथ अब ,चलता ही कौन है
***
मेरा ज़नूने-शौक है, या हद है प्यार की
तेरे बिना सूनी लगे , रौनक बहार की
आते नही हैं वो कभी, महफ़िल में वक़्त से
आदत सी हमको पड़ गई है इंतज़ार की
सूरज ढला, तो आसमाँ की ,रुत बदल गई
पक्षी कहानी लिख गए,अपनी कतार की
माना कि शोभा रखता है,कैक्टस का फ़ूल भी
लेकिन चुभन, महसूस की है, मैने ख़ार की
कुछ भी कहूं या चुप रहूं आफ़त में जान है
रस्सी भी "आज़र"बट चुकी गर्देन पे दार की
***
-पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र" जी का परिचय पा कर बहुत अच्छा लगा। ह गज़ल लाजवाब है। धन्यवाद।
ReplyDeleteआदरणीय निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteसादर
आपका तहे दिल से शुक्रिया अपना स्नहे बनाएं रखियागा !
प्रिय बंधुवर पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
सर्वप्रथम तो आपको मेरी ओर से
~*~जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई !~*~
~*~हार्दिक शुभकामनाएं !!~*~
स्वीकार हो …
… और ग़ज़लों के बारे में इतना ही कहना है कि
वाह ! क्या बात है !
चारों ग़ज़लें एक से एक ख़ूबसूरत है ।
दिली मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएं जनाब !
किसी ग़ज़ल का एक शे'र कोट करने के लिए चुनना मुमकिन नहीं
हर ग़ज़ल का हर शे'र रवां-दवां है ।
फिर भी यह शे'र जो आपकी भी ख़ास पसंद का होना चाहिए…
किसी शायर के अच्छे शेर पे, जब दाद मिलती है
कली सिमटी हुई जैसे, चमन में फूल बन जाए
पुनः बधाई !
♥♥ हार्दिक शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं ! ♥♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
प्रिय राजेन्द्र स्वर्णकार जी !
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
आपका तहे दिल खैरमकदम करता हूं ! आप सब की मुहब्बतें हैं जो शब्दों को अभिवयक्त कर पातां हूं !
आपका मार्मिक शेइर पढ़ कर अपनी एक बहुत पुरानी ग़ज़ल का मतला याद आ गया !
वाह क्या बात है...........
मोम हूं , यूं ही पिघलते एक दिन गल जाऊंगा
फ़िर भी शायद मैं कहीं जलता हुआ रह जाऊंगा
मतला पेश-ए-खिदमत है !
जलते-जलते जिंदगी ,इक दिन धुंआ बन जाएगी
आग बुझ कर रेत पर, काला निंशा बन जाएगी
धन्यवाद
पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
खूबसूरत गजलें..बधाई.
ReplyDeleteजनाब कृष्ण कुमार यादव जी
ReplyDeleteआपक तहे दिल से शुक्रिया !
बहुत खूबसूरत गजलें|धन्यवाद।
ReplyDeleteaadat si hamko pad gayi hai intezar ki . achha sher hai
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