हरीश भादाणी- सादर श्रद्धांजलि- उन्ही की दो कविताएँ उन्ही स्वर में, उन्ही को समर्पित

राजस्थान के 'बच्चन' कहे जाने वाले प्रख्यात जनकवि हरीश भादाणी किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है. फिर भी उनकी यादों को कुछ ताज़ा करना चाहूँगा. उनका हिंदी की लोकप्रि‍य प्रगति‍शील परंपरा में महत्‍वपूर्ण योगदान था। मंचीय कवि‍ताओं से लेकर साहि‍त्‍यि‍क कवि‍ताओं के श्रेष्‍ठतम प्रयोगों का बेजोड़ खजाना उनके यहां मि‍लता है। हिंदी और राजस्‍थानी कवि‍ता की पहचान नि‍र्मित करने में हरीशजी की केन्‍द्रीय भूमि‍का थी।‍ सड़क से जेल तक कि कई यात्राओं में आपको काफी उतार-चढ़ाव नजदीक से देखने को अवसर मिला । जनता के संघर्षों और जिंदगी के साथ एकमेक होकर जीने वाले वे बड़े कवि‍ थे। आम जनता में हरीश जी की कवि‍ताएं जि‍स तरह जनप्रि‍य थी वैसी मि‍साल नहीं मि‍लती। राजस्‍थान के वि‍गत चालीस सालों के प्रत्‍येक जन आंदोलन में उन्‍होंने सक्रि‍य रूप से हि‍स्‍सा लि‍या था। राजस्‍थानी और हिंदी में उनकी हजारों कवि‍ताएं हैं। ये कवि‍ताएं दो दर्जन से ज्‍यादा काव्‍य संकलनों में फैली हुई हैं। मजदूर और कि‍सानों के जीवन से लेकर प्रकृति‍ और वेदों की ऋचाओं पर आधारि‍त आधुनि‍क कवि‍ता की प्रगति‍शील धारा के नि‍र्माण में उनकी महत्‍वपूर्ण भूमि‍का थी। इसके अलावा हरीशजी ने राजस्‍थानी लोकगीतों की धुनों पर आधारि‍त उनके सैंकड़ों जनगीत लि‍खें हैं जो मजदूर आंदोलन का कंठहार बन चुके हैं।
आपने 1960 से 1974 तक वातायन (मासिक) का संपादक भी रहे । कोलकाता से प्रकाशित मार्क्सवादी पत्रिका ‘कलम’ (त्रैमासिक) से भी आपका गहरा जुड़ाव रहा है। आपकी प्रोढ़शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा पर 20-25 पुस्तिकायें राजस्थानी में। राजस्थानी भाषा को आठवीं सूची में शामिल करने के लिए आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता। ‘सयुजा सखाया’ प्रकाशित। आपको राजस्थान साहित्य अकादमी से ‘मीरा’ प्रियदर्शिनी अकादमी, परिवार अकादमी(महाराष्ट्र), पश्चिम बंग हिन्दी अकादमी(कोलकाता) से ‘राहुल’, । ‘एक उजली नजर की सुई(उदयपुर), ‘एक अकेला सूरज खेले’(उदयपुर), ‘विशिष्ठ साहित्यकार’(उदयपुर), ‘पितृकल्प’ के.के.बिड़ला फाउंडेशन से ‘बिहारी’ सम्मान से आपको सम्मानीत किया जा चुका है । 1 जून 1933 को छोटी काशी कहे जाने वाले बीकानेर (राजस्‍थान)  में जन्मे हरीश भादाणी 2 अक्टूबर, 2009 में लम्बी बीमारी के बाद अनंत की यात्रा को प्रस्थान कर गए. आज उन्ही की कुछ कविताएँ उन्हीं की वाणी में उन्ही को श्रद्धांजलि स्वरुप समर्पित है.
उनकी प्रकाशि‍त रचनाऍं -
1. अधूरे गीत (हिन्दी-राजस्थानी) 1959 बीकानेर
2. सपन की गली (हिन्दी गीत कविताएँ) 1961 कलकत्ता
3. हँसिनी याद की (मुक्तक) सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर 1963
4. एक उजली नजर की सुई (गीत) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966 (दूसरा संस्करण-पंचशीलप्रकाशन, जयपुर)
5. सुलगते पिण्ड (कविताएं) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966
6. नश्टो मोह (लम्बी कविता) धरती प्रकाशन बीकानेर 1981
7. सन्नाटे के शिलाखंड पर (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर1982
8. एक अकेला सूरज खेले (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1983 (दूसरा संस्करण-कलासनप्रकाशन, बीकानेर 2005)
9. रोटी नाम सत है (जनगीत) कलम प्रकाशन, कलकत्ता, 1982
10. सड़कवासी राम (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर, 1985
11. आज की आंख का सिलसिला (कविताएं) कविता प्रकाशन, 1985
12. विस्मय के अंशी है (ईशोपनिषद व संस्कृत कविताओं का गीत रूपान्तर) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1988
13. साथ चलें हम (काव्यनाटक) गाड़ोदिया प्रकाशन, बीकानेर 1992
14. पितृकल्प (लम्बी कविता) वैभव प्रकाशन, दिल्ली 1991 (दूसरा संस्करण-कलासन प्रकाशन, बीकानेर 2005)
15. सयुजा सखाया (ईशोपनिषद, असवामीय सूत्र, अथर्वद, वनदेवी खंड की कविताओं का गीत रूपान्तर मदनलाल साह एजूकेशन सोसायटी, कलकत्ता, 1998
16. मैं मेरा अष्टावक्र (लम्बी कविता) कलासान प्रकाशन बीकानेर, 1999
17. क्यों करें प्रार्थना (कविताएं) कवि प्रकाशन, बीकानेर, 2006
18. आड़ी तानें-सीधी तानें (चयनित गीत) कवि प्रकाशन बीकानेर, 2006
19. अखिर जिज्ञासा (गद्य) भारत ग्रन्थ निकेतन, बीकानेर, 2007
राजस्थानी में प्रकाशित पुस्तकें:
1. बाथां में भूगोळ (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर, 1984
2. खण-खण उकळलया हूणिया (होरठा) जोधपुर ज.ले.स
3. खोल किवाड़ा हूणिया, सिरजण हारा हूणिया (होरठा) राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति जयपुर
4. तीड़ोराव (नाटक) राजस्थानी भाषा-साहित्य संस्कृति अकादमी, बीकानेर पहला संस्करण 1990 दूसरा 1998
5. जिण हाथां आ रेत रचीजै (कविताएं) अंशु प्रकाशन, बीकानेर

फेरों बाँधी हुई सुधियों को

फेरों बँधी हुई सुधियों को
          कैसे कितना
           और बिसारें
आती ही जाती
लहरों-सी
दूरी से सलवटें संजोती
तट की फटी दरारों में ये
फेनाया-सा
तन-मन खोती
अनचाहा यह मौन निमन्त्रण
कौन बहानों से इन्कारें

फेरों बँधी हुई सुधियों को
          कैसे-कितना
           और बिसारें

रतनारे नयनों को मूँदे
पसर-पसर
जाती रातों में
सिहर-सिहर
टेरें भरती हैं
खोजी सपनों की बातों में
साँसों पर कामरिया का रंग
किन हाथों से पोंछ उतारें

फेरों बँधी हुई सुधियों को
         कैसे, कितना
           और बिसारें

परदेशी जैसी
अधसोई
अलसा-अलसा कर अकुलाती
सूरज देख
लाजवंती-सी
उठ जाती
परभाती गाती
धूप चदरिया मिली ओढ़ने
फिर क्यों तन से इसे उतारें

फेरों बंधी हुई सुधियों को
          कैसे-कितना
           और बिसारें
***
यह कविता स्वयं हरीश भादाणी के स्वर में यहाँ सुने :-


चाहे जिसे पुकार ले तू ...अगर अकेली है!


चाहे जिसे पुकार ले तू
       अगर अकेली है!

संध्या खड़ी मुंडेर पर
पछुवाए स्वर टेर कर
अँधियारे को घेर कर
ये सब लगे अगर परदेशी
आंगन दीप उतार ले तू
        अगर अकेली है!
चाहे जिसे पुकार ले तू.....

देख सितारे और गगन,
दुखती-दुखती बहे पवन
घड़ियाँ सरके बँधे चरण
ये भी लगे अगर परदेशी
कल का सपन संवार ले तू
अगर अकेली है!
चाहे जिसे पुकार ले तू
       अगर अकेली है!

टहनी-टहनी बांसुरी
आई ऊषा नागरी,
खिली कमल की पांखुरी
गीत सभी पूरब परिवेशी
अपने समझ पुकार ले तू
अगर अकेली है!
चाहे जिसे पुकार ले तू
       अगर अकेली है!
***
यह कविता स्वयं हरीश भादाणी के स्वर में यहाँ सुने :-



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9 Responses to हरीश भादाणी- सादर श्रद्धांजलि- उन्ही की दो कविताएँ उन्ही स्वर में, उन्ही को समर्पित

  1. आभार नरेंद्र जी! आपने आज मुझे अपना मुरीद बना लिया हरीश जी के स्वयं के स्वरों में ये अनमोल और यादगार गीत सुनाकर..

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  2. ओह...
    लगता है कुछ गड़बड़ है...
    उन के स्वर में सुनने वाले लिंक तो दिखाई ही नहीं दे रहे...

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  3. अद्भुत अनुभव!
    संयोजक को बधाई.

    ReplyDelete
  4. हरीश जी की रचनाओं को सुनवाने का आभार। यह उनके प्रति सच्‍ची श्रद्धांजलि है।

    ---------
    समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
    प्रकृति की सूक्ष्‍म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।

    ReplyDelete
  5. नरेन्द्र जी का आभार,हरीश जी की कवितायें
    सुनाने के लिए.

    ReplyDelete
  6. सचमुच यहां अकेला कौन है।

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  7. भाई नरेन्दर जी कमाल कर दिया आपने तो !
    आदरणीय शब्द साधक हरीश जी भादाणी के लिए इस से श्रेष्ठ
    श्रद्धांजली और क्या हो सकती है !
    बहुत नेक काम किया है आपने इस संचयन के माध्यम से !
    बधाई आपको,सुनील जी को और बधाई समूचे आखर कलश परिवार को !
    जय हो !

    ReplyDelete
  8. भाई नरेंद्र व्यास जी हरीश भादाणी जी के बारे में आपने बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी दिया |आभार |

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