स्व. शिवराम जी की कविता- नारी

श्रद्धांजलि


स्‍व. शिवराम- हिंदी और राजस्थानी साहित्य का एक ऐसा चमकता सितारा जिसने अपनी रोशनाई से समूचे साहित्य जगत को जगमगाया..! अब ये सितारा हमारे बीच नहीं रहा..पर समूचे साहित्य जगत में उनके योगदान तक युगों-युगों तक नहीं भूल पायेगा..! आइये आज उन्ही की एक अमर कृति से उनको श्रद्धांजली अर्पित करें..!

जन्म- 23 दिसंबर 1949 को राजस्थान के करौली नगर में ।
शिक्षा - गांव गढ़ी बांदुवा, करौली और अजमेर में।
परिचय
33 वर्षों से हिन्दी की महत्वपूर्ण साहित्यिक लघु पत्रिका 'अभिव्यक्ति' का संपादन ।
प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े रहे। जनवादी लेखक संघ के संस्थापकों में से वे एक । अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा 'विकल्प' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका । वर्तमान में 'विकल्प' के महासचिव थे।
भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) सदस्यता ग्रहण की। पार्टी के पोलिट ब्यूरो के सदस्य ।
प्रकाशित पुस्तकें
• जनता पागल हो गई है (नाटक संग्रह)
• घुसपैठिए (नाटक संग्रह)
• दुलारी की माँ (नाटक)
• एक गाँव की कहानी (नाटक)
• राधेया की कहानी (नाटक)
• सूली ऊपर सेज (सेज पर विवेचनात्मक पुस्तक)
• पुनर्नव (नाट्य रूपांतर संग्रह)
• गटक चूरमा (नाटक संग्रह)
• माटी मुळकेगी एक दिन (कविता संग्रह)
• कुछ तो हाथ गहो (कविता संग्रह)
• खुद साधो पतवार (कविता संग्रह)
देहावसान - १ अक्टूबर २०१०, शुक्रवार
नारी

बरसात की रात के
खुले आकाश मेँ
दमकता चाँद हो तुम
सर्दियोँ की सुबह का
उगता हुआ सुरज
फलोँ से लक-दक
पेड हो आम का
कल-कल बहती
नदी हो, सदानीरा
चुल्हे की आँच हो
टँगस्टन तार हो
बल्ब के भीतर का
कौन कहता है
कि अबला हो तुम
तुम सम्बल हो,प्रेरणा हो
ह्रदयहीन दुनिया का
ह्रदय हो
तुम्हारे ही बल पर
कायम है यह कायनात
स्वाधीनता हक है तुम्हारा और
यही तुम्हारे पास नहीँ
***

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

13 Responses to स्व. शिवराम जी की कविता- नारी

  1. तुम्हारे ही बल पर
    कायम है यह कायनात
    स्वाधीनता हक है तुम्हारा और
    यही तुम्हारे पास नहीँ

    बहुत जबरदस्त रचना.

    -स्व. शिवराम जी को श्रद्धांजलि!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर चरित्र चित्रण है नारी का ,उम्दा नज़्म है
    स्व.शिवराम जी को श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छी रचना . बधाई.

    ReplyDelete
  4. मार्मिक कविता है। अनुरोध है कि शिवराम जी की कुछ और कविताएं आखर कलश के पाठकों को पढ़वाएं। इस कविता में पारम्‍पारिक बिम्‍बों के साथ कवि ने नए बिम्‍ब भी स्‍त्री को दिए हैं। और वे बहुत गहरे हैं। टंगस्‍टन का तार निर्वात या किसी खास गैस की कैद मे ही जलता है। यह भी एक बिम्‍ब है।

    ReplyDelete
  5. "चुल्हे की आँच हो
    टँगस्टन तार हो
    बल्ब के भीतर का
    कौन कहता है
    कि अबला हो तुम "... नारी के प्रति सकारात्मक सोच को दर्शाती अच्छी कविता है.. स्व. शिवराम जी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि!

    ReplyDelete
  6. स्व. शिवरां जी की कविता के सम्मान में मेरी कुछ पंक्तियाँ:-

    हे जगधात्री
    हे जग शक्ति
    हे पौरुष अर्धांगिणी
    तुम समान अधिकार की हो पात्र
    फिर विशेष अधिकार क्यूँ?

    ReplyDelete
  7. एक संवेदन शील लेखक की रचना संवेदना से परिपूर्ण होती है ,शिवराम जी के व्यक्तित्व की झलक उनकी रचनाओ में देखने को मिलती है ,आज वो हमारे बीच नहीं है पर अपने सृजन में वो हमेशा अपने होने
    का अहसास कराते रहेंगे ,

    स्वाधीनता हक है तुम्हारा और
    यही तुम्हारे पास नहीँ ......नारी जीवन की कटु सच्चाई बयां की है
    आत्मिक श्रदांजलि

    ReplyDelete
  8. कौन कहता है
    कि अबला हो तुम
    तुम सम्बल हो,प्रेरणा हो
    ह्रदयहीन दुनिया का
    ह्रदय हो
    तुम्हारे ही बल पर
    कायम है यह कायनात
    स्वाधीनता हक है तुम्हारा और
    यही तुम्हारे पास नहीँ
    नारी जीवन को बिम्ब प्रयोग से बखूबी चित्रित किया है…………बेहतरीन रचना।

    ReplyDelete
  9. स्‍वर्गीय शिवराम जी को हार्दिक श्रद्धॉंजलि।
    नारी की महिमा पर ऐसी संतुलित कवितायें कम ही पढने को मिलती हैं।

    ReplyDelete
  10. तुम्हारे ही बल पर
    कायम है यह कायनात
    स्वाधीनता हक है तुम्हारा और
    यही तुम्हारे पास नहीँ
    बहुत प्रभावशाली रचना ....
    परिचय के लिए आपका धन्यवाद !
    स्व. शिवराम जी को भावभीनी श्रद्धांजलि!

    ReplyDelete
  11. स्व .शिवराम जी की कविता नारी के अस्तित्वबोध को पूरी गरिमा और संवेदना के साथ उकेरने में सफल रही है उन्हें पुरे सम्मान के साथ बधाई .

    ReplyDelete
  12. प्रेषित कविता प्रकाशित करने पर हार्दिक आभार।

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.