नज़्म - पंकज त्रिवेदी


नज़म

बड़ी खामोशी से पाला है, आशियाना हमने |

ग़म के सायों से लदे पेड़, झुके है आँगन में ||

हमारी फ़ितरत ही कहाँ, ज़माने से ख़फा होना |

अँगारे से खेलना, मुस्कुराना, अच्छा भी नहीं ||

घर तुम्हारे भी जल रहे हैं, देखो लोग सहमे हुएँ |

दिल की गहराई से दबी, टीस एक सुनाई देगी ||

हसीं आती है हमें, भरोसे की बात पर |

खंजर है तुम्हारे हाथ में, और गोली है पीठ में ||

अब गांधी नहीं रहे, जो अहिंसा की करें बात |

आज़ाद है हम कहते हैं, फिर भी है क्यूं गुलाम !!

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14 , अगस्त, 2010

"ॐ", गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फूट रोड, सुरेंद्रनगर-363 002 गुजरात

pankajtrivedi102@gmail.com

Mobile : 09662514007

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4 Responses to नज़्म - पंकज त्रिवेदी

  1. आपने
    बहुत उम्दा पोस्ट लगाई है।
    लोकहित की बात उठाई है।
    स्वतंत्रता दिवस की
    हार्दिक बधाई है ॥
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  2. ६३ सालो की पूरी स्थिति ये चंद पंक्तिया बयां कर देती है साथ ही साथ कुछ अनसुलझे सवाल भी छोड़ जाती है| सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये|

    ReplyDelete
  3. राष्ट्र-चिंतन का दर्पण है ये रचना...
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  4. jash-ne-azaadi ke moke par haqbyani karti hui nazm ke liye mubarakbad'pnkaj' ji jai hind

    ReplyDelete

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