भरत तिवारी की तीन रचनाएँ















कभी कभी तो प्यार से बुलाया करो
आशिकी का फ़र्ज़ है, निभाया करो |
गली का हर शख्स देखता है तुम्हे
उधर को जाओ तो शरमाया करो |
वैसे भी अब भला क्यों जाते हो उधर? 
कभी जाओ तो नकाब में जाया करो | 
तू जानता है के कुछ खबर है मुझको , 
दोस्तों से हमारी दुश्मनी छुपाया करो |
बात पर्दे में है, पर्दे में ही रहने दो
यों बेबाक इल्ज़ाम ना लगाया करो |
आज जो सड़क वीरान तुझे लगती है
उसके पुराने कर्जों को चुकाया करो |
शीशे का ये मकान तब ना होता था
इस ईंट के घर में भी हो आया करो | 

मिलो जो जमाने के सामने 'भरत' से  
कम से कम हाथ तो मिलाया करो |
***
भीड़ तो तमाम है...
रंग भी तमाम है...
चेहरों पे इक नकाब है...
हर तरफ फ़साद है...
जो इंसान है...
वो दफ़न है...
जो हैवान है...
वो मगन है...
निकलो बाहर कब्र से...
सो रहे हो कब से...
डरो अब न उस से...
मार दो कलम से...

अब न जागो गे तो ये दुनिया नर्क हो जायेगी...
अब अगर सोते रहे तो कयामत भी न आएगी...
आँखे अपनी खोल के कुदरत की नेमत देख लो...
अब दोबारा खुदा से भी शायद से ही बन पायेगी...

***

इनकार तू करता नहीं...
मांगता मैं भी नहीं...|
हर बात तू समझ के...
कुछ बताता भी नहीं |
खुद को तनहा क्यों करूँ...
फ़िक्र करके बेवजह |
है रोम रोम में तू बसा ...
करूँ ख्वाहिशें किस के लिए |

मैं आया हूँ...
दो घड़ी के तेरे साथ के लिए ... |
भीड़ में भी मिलते...
तेरे अहसास के लिए... |
गुफ्तगू करता रहा...
शोर से कहीं बेखबर... |
बस तू ही काफी है,
इस रूह-ए-परेशां के लिए... |

*** 

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21 Responses to भरत तिवारी की तीन रचनाएँ

  1. सुन्दर रचनायें।

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  2. वन्दना जी ... शुक्रिया!
    friends to post your comment you have to select one of the like you might use you google id, then only you can leave your valuable comment.
    hope am able to explain HOW TO COMMENT

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  3. Bharat Tiwari's poems are sparkling. They are encaptivating and entertaining, to say the least.

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  4. जज़बातो को शब्दों में पिरोना और शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे...
    आपको बहुत पहले आ जाना चाहिए था यहाँ पे पर देर आये दुरुस्त आये...
    हार्दिक बधाई!!!

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  5. Bharat, you have once again proved your ability to write a beautiful poem. Keep it up ............

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  6. teri hayaat ka jauhar, kamaal tak pahunche. . . . Allah kare zor-e-qalam aur zyaada

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  7. bahut hi umda rachna hai. dil ko choo si gayi hai.
    bheed mein bhi milte hain tere ahsaas ke liye...wah

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  8. Beautiful Bharat!! u wrote with feeling...keep going I proud to be your friend....loads of love.
    Soma

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  9. Beautiful Bharat!! u wrote with feeling...keep going I proud to be your friend....loads of love.
    Soma

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  10. Beautiful Bharat!! u wrote with feeling...keep going I proud to be your friend....loads of love.
    Soma

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  11. अकसर देखा गया है कि कवि अपनी कविताओं में अपने ख्‍यालों और कल्‍पनाओं को किसी मुक्‍त पंक्षी की तरह उड़ने की इजाजत देने से कतराते हैं। वह अपने ख्‍याल और कल्‍पनाएं किसी मुक्‍त पंक्षी की तरह नहीं बल्कि किसी पतंग की तरह देखते हैं जिसकी डोर उनके हाथों में होती है और जिसे वे अकसर जबरदस्‍ती किसी खास दिशा में उड़ाने की कोशिश करते हैं। ज्‍यादातर मामलों में ऐसी कोशिशें सिर्फ नाकाम नहीं होती, बल्कि कविता भी बड़ी बोझिल हो जाती हैं।
    भरत तिवारी की कविताओं को पतंगों के खाने में नहीं डाला जाना चाहिए। इन कविताओं में ताजगी है।

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  12. keep it up ji...............................

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  13. भरत जी रचनाएँ अच्छी लगीं ..बधाई और शुभकामनायें

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  14. Incredible.... u r an awesome writer BT Ji....
    The success is on its way.... wish u lick !! <3

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  15. Bharat ji Kamaal Kar Diya.. Bahut Badhaai...

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  16. हार्दिक बधाई!!!

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  17. भरत जी अत्यंत सुन्दर रचनायें |
    आपकी कलम को सलाम |
    ऐसे ही लिखते रहें|
    शुभकामनाएँ राजेंद्र

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  18. "Imagination often carry us to worlds that never were. But without it we go nowhere" AND U SEEM TO HAVE A MIND BLOWING IMAGINATION POWER WITHIN YOU ,which inspires u to write such wonderful stuff

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  19. "Imagination often carry us to worlds that never were. But without it we go nowhere" AND U SEEM TO HAVE A MIND BLOWING IMAGINATION POWER WITHIN YOU ,which inspires u to write such wonderful stuff

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