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पुनः एक बेजोड़ प्रस्तुति..... सुनील जी और व्यास जी बढ़िया चयन बोध है आपका.. साधुवाद..
ReplyDeleteक्या कहूँ इन कविताओं के बारे में ...अनूठी रचनाएँ हैं ...पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...एक से बढ़कर एक कविता....क्या भाव-बोध और क्या शिल्प ...हार्दिक आभार..
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबधाई हो सुनील जी एवम् नरेन्द्र जी !
आप अब लय और रफ्तार पकड़ रहे हो! पहले आप ने नंद किशोर आचार्य, नंद भारद्वाज,अज़ीज आज़ाद,रश्मि प्रभा,गुलशन जी और संगीता सेठी जैसे रचनाकारोँ को पढ़ने का अवसर दिया और अब भाई मालचंद तिवाड़ी जैसे सशक्त रचनाकार को लाए हो।इस हेतु आपकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है।मुझे गर्व है कि मैँ 'आखर कलश' का पाठक व रचनाकार हूं।एक बार फिर बधाई !
भाई माल चंद तिवाड़ी हिन्दी एवम् राजस्थानी के ख्यातनाम रचनाकार हैँ।उन्हेँ यहां पढ़ना अच्छा लगा।यहां शामिल उनकी समस्त कविताएं लाजवाब हैँ।भाई तिवाड़ी जी को हार्दिक बधाई!
HALANKI MAINE MALCHAND JI KI KEVAL KUCH KAHANIYAN PADHI HAIN KINTU KAVITAEIN BHI ALAG KISM KI HAIN
ReplyDeleteश्रद्देय भाई मालचंद तिवाड़ी जी कवितायेँ पढ़ीं ...मन को छु गई.. आखर कलश और कवि तिवाड़ी जी को हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteमालचंद जी की नए रंग की कविताए पढ़कर उनके अंतस में छिपे दर्द को जाना | संवेदनशील कविताओं के लिए बधाई !
ReplyDeleteअद्भुत।
ReplyDeleteमालचंद जी सर की सारी रचनाएँ बहुत ही खूब सूरत है ..जैसे दर्पण में कोई खूबसूरत अक्श उतर आता है और दर्पण भी सुन्दर लगने लगता है उसी तरह आपकी कविताओं को पढ़कर मन को एक खूबसूरत अहसास हुआ है ..बहुत ही उम्दा कोटि की रचनाएँ हैं ..काबिले तारीफ
ReplyDeleteमालचंद जी सर की सारी रचनाएँ बहुत ही खूब सूरत है ..जैसे दर्पण में कोई खूबसूरत अक्श उतर आता है और दर्पण भी सुन्दर लगने लगता है उसी तरह आपकी कविताओं को पढ़कर मन को एक खूबसूरत अहसास हुआ है ..बहुत ही उम्दा कोटि की रचनाएँ हैं ..काबिले तारीफ
ReplyDeleteye aaina hai,
ReplyDeletehum sab k liye;
jo samajte hain
kavita likhne bhar se
kavita ka hona.
"ARTH DENE SIWAY
OR KYA HAI KAVITA"!!
आखर कलश एक बेहतरीन प्रयास---- बधाई।
ReplyDeleteमालचंदजी की रचनाएं अच्छी लगीं, उन्हें भी बधाई पहुंचा दें।
तिवाड़ी जी की कवितायें ज़मीं से जुडी हुई संवेदना से भरपूर हैं /पठनीय हैं /हार्दिक बधाई /आखर कलश को धन्यवाद/
ReplyDeleteAakhar kalash ka naya swaroop bahut akarshak laga..rachnatmak oorja ko banaye rakhne ke aapke prayason ko mera naman
ReplyDeleteमैला दर्पण
ReplyDeleteचेचक नहीं निकला करती
दर्पण के मुखडे पर
सिर्फ इतना हुआ था
कंघी करते समय
तुम्हारी गीली केश-राशि से उडे छींटे
पौंछ नहीं सका था मैं
यत्न करता-सा
Anuwaad yatharth ke bahut qareeb le aay ahai....Bahut hi marmik v sateek rachna hai Maila Darpan..Maalchand Tiwari ji ki....Narendra Vyaas ji aapko dher sari shubhkamnayein is sahity ke safal prayaas ke liye...