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स्वाधीनता का मतलब ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं ... बहुत सुन्दर और सार्थक रचना !
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती कविता.
ReplyDeleteआजादी की तलाश में संयुक्त परिवार के टूटन पर करारा व्यंग करती रचना। धन्यवाद पंकज जी ऐसी प्रस्तुति के लिए।
ReplyDeleteRochak kathanak !
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeletepahli bar padha aapko ....kya chitran kiya sir...aazadi ka
ReplyDeleteइन्द्रनील, शाहिदजी, हर्षिताजी, श्रद्धेय ॐ साहब, नीलेशजी और बबनजी,
ReplyDeleteआप सबका कैसे शुक्रिया अदा करूँ? कुछ बातें अपनी होते हें भी सबकी होती है.. ज़ख्म अपने भले हो मगर उसे दबाने के बदले उभरने दें तो ही दिल को सुकून मिलता है.... !
सुंदर सोच
ReplyDeleteसुंदर सत्य कथन भैया जी....