दर्द शुजालपुरी की ग़ज़ल - बेटियां


दर्द शुजालपुरी
सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!

बेटे तो बीबीयों को अपनी लेके चल दिए !
बूढों की लाठियां और कांधा हैं बेटियां !!

फुरसत मिले तो इनको ज़रा पढ़ भी लीजिए !
कुरान, बाईबल और गीता हैं बेटियां !!

नन्ही कली ओ बादे-सबा 'दर्द' की गज़ल !
क्या-क्या बताऊं आपको क्या-क्या हैं बेटियां !!
*******
रचनाकार परिचय
नाम: दर्द शुजालपुरी ( गोवर्धन सिंह सिसोदिया )
जन्म तिथि: 01.01.1951
जन्म स्थान: शुजालपुर (जिला शाजापुर) म. प्र., भारत
अध्ययन: बी.ए., बी.एड. (१९७१, १९७६ )
विधा: गज़ल, गीत ( हिन्दी, उर्दू में समान रूप से )
कविता गुरू: रज़ा रामपुरी (भोपाल) म.प्र.
काव्यपाठ: भारत के सभी प्रान्तों में काव्यपा किया है. जैसे बॉम्बे, दिल्ली, जयपुर, नागपुर, चैन्नई, पणजी, बैगलोर, कानपुर, आगरा, अहमदाबाद, सहित गुजरात, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखन्ड, कर्नाटक, छ्त्तीसगढ, बिहार, गोआ, राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखन्ड, दिल्ली आदि राज्यों के शहरों में सतत़ ४० सालों से कवि सम्मेलन और मुशायरो मे शिरकत कर रहे है.
दर्द शुजालपुरी को उनकी बेटियां और लडकियां गज़लों ने विश्वभर में ख्याति दिलाई है
प्रसारण:
१. दूरदर्शन, एस-वन, ई.टी.वी, आकाशवाणी पर काव्यपा
२. सब टी. बी के कार्यक्रम वाह-वाह मे चार बार काव्यपा
३. गीत के ख्यातिनाम कवि सम्मेलन गीत-चान्दनी में दो बार काव्यपा
प्रकाश्य-संग्रह:
१. रूपमति (खन्ड काव्य) २.रफ्ता-रफ्ता (गज़ल संग्रह) ३. राधा बावनी (प्रबन्ध काव्य) ४. द्वार-द्वार दीपक (गीत सन्ग्रह) ५. अनामिका (नवगीत सन्ग्रह)
कवि-संसर्ग: वि सम्मेलन के दौर मे गोपालदास नीरज, ओमप्रकाश आदित्य, सुरेन्द्र शर्मा, शिवमंगल सिंह सुमन, बालकवि बैरागी, अशोक चक्रधर, तस्नीम सिदक्की, सुरेन्द्र दुबे,  माया गोविन्द, कुवर बैचेन, बशीर बद्र, राहत इन्दौरी, रामरिक मनहर, मंगल नसीम, मुन्नवर राना, बलवीर करुण इत्यादि
सम्मान:
१.  अभिनव कला सम्मान (अभिनव कला परिषद भोपाल)
२.  शब्द शिल्पी सम्मान (नेताजी सुभामंच,) हरसुद जिला खन्डवा
३.  जैन अलंकरण (अंतरा"ट्रीय जैन कानफ्रेन्स) माउन्ट आबु, राजस्थान
४.  भोर सम्मान (भोर समाचार पत्र समुह) श्रीगंगानगर राजस्थान
५.  मोगली सम्मान ( अखिल भारतीय कला, साहित्य परिषद) जयपुर
६.   बिरमाल अलंकरण (डा.बिरमाल साहित्य मंच) पचोर जिला राजगर म.प्र.
७.   जिपलेप सम्मान (जिपलेप मंच) खरगोन इसके साथ ही देशभर मे अनेक सम्मानों से सम्मानित

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34 Responses to दर्द शुजालपुरी की ग़ज़ल - बेटियां

  1. बेटी पर लिखी यह ग़ज़ल काफी मर्मस्पर्शी बन पड़ी है। इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है ।

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  2. Bahut achchha likha hai apne .Badhai!!

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  3. betiyon par lagbhag sabhi shayaron ne sher kahe hai. isi kadee me shujalpuri ne bhi khoobsoorat parmparaa ko aage barhayaa hai. unhe badhai itane achchhe lekhan ke liye.

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  4. सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
    जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

    बहुत अच्छे भाव की असरदार प्रस्तुति.

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  5. शुजालपुरी जी ,
    दिल को छू गई आपकी ग़ज़ल।मोती सरीखे शब्दोँ मेँ गुंथी इस ग़ज़ल की बहर भी प्रभावित करती है।
    बधाई हो!

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  6. बहुत उम्दा ग़ज़ल है भाईजान. हालाँकि मैंने भी बेटीयों के ऊपर एक ग़ज़ल लिखी है लेकिन आपकी ग़ज़ल मुझसे बहुत ज्यादा बेहतर है. मेरे ब्लॉग www.nareshnashaad.blogspot.com पर आप उस ग़ज़ल को ज़रूर पढियेगा और अपनी टिप्पणी जरुर देना.

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  7. सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
    जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

    behatareen

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  8. अब मैं क्‍या कहूँ, दर्द शुजालपुरी भाई से बिछड़े 20 वर्ष हो गये। 1985 से 1990 के मध्‍य जब मैं खरगोन में था तब दो तीन बार मंच पर एक साथ प्रस्‍तुत हुए थे। इनका तो तब भी बड़ा नाम था। अच्‍छा कहते हैं, ये ही पहली बार मेरे पीछे पड़े थे बह्र को लेकर और मैं तब से बह्रों के बह्र में डुबकियॉ लगा रहा हूँ।
    @दर्द भाई
    संपर्क जरूर कीजिये kapoor.tilakraj@gmail.com पर और कभी समय निकाल पायें तो rastekeedhool.blogspot.com पर जरूर आयें।

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  9. फुरसत मिले तो इनको ज़रा पढ़ भी लीजिए !
    कुरान, बाईबल और गीता हैं बेटियां !!
    और कहने को बचा ही क्या है - सच्ची और बेमिशाल ग़ज़ल - आभार

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  10. दर्द साहब ने बेटियों का दर्द बहुत संवेदनशीलता से कागज पर उकेरा है. साधुवाद.

    प्रेमचंद सहजवाला

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  11. बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
    दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!

    वाह जबर्दस्त भाव!!

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  12. dard sujalpuri sahb bahut khub gazal kahi h vaha vaha

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  13. बेहतरीन ग़ज़ल है ... और बहुत उम्दा सोच है ... अगर सब ऐसे सोचें तो हमारे समाज का भला हो जाये ...

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  14. Wonderful poem. Beautiful words. Congrats.
    Jolly Uncle
    http://www.jollyuncle.blogspot.com

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  15. Wonderful poem. Beautiful words. Congrats.
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  17. Aaj ki subah rktk ho gai. badhai. ji karta hai apki gazal mai gunguna lun.

    सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
    जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

    VAH!!!

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  18. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है ... सच लिखा है हर शेर में ... बेटियाँ मा बाप के जीतने करीब होतय हैं बेटे नही होते ..... हर शेर में हक़ीकत की झलक मिलती है ...

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  19. दर्द शुजालपुरी की ग़ज़ल बेटियों के दर्द को बखूवी उकेरती है बधाई.

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  20. BETIYON PAR EK ACHCHHEE GAZAL HAI.BADHAAEE.

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  21. बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
    दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !शुक्रिया. बधाई

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  22. ak lambe arse bad dard sahab se yahan milkar khushi hui.unki madhur awaz me suni hai ye gazal.sunder.

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  23. सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
    जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

    बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
    दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!

    निःशब्द हूँ ......!!

    बेमिसाल .....!!

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  24. bahut hi achi rachna hai betiya........

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  25. Kaash betiyon ko har pita isee tarah samjhe!

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  26. सूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
    जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

    लाज़वाब प्रस्तुति , बहुत खूब !!

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  27. बेहद खूबसूरत और संवेदनशील सोच को दर्शाती हुई ग़ज़ल है ...सीधे दिल कि तह तक जाती है...अतिसुन्दर भाव.

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  28. सिर्फ और सिर्फ एक शब्द, बेहतरीन!

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  29. बहुत सुंदर कविताएं है.

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  30. Betiyan har aangan ki shobha hoti hai, ve milne par hasati hai, bichadne par rulati hai. bahut hi sunder abhivyakti hai.

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