दर्द शुजालपुरी |
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बेटी पर लिखी यह ग़ज़ल काफी मर्मस्पर्शी बन पड़ी है। इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है ।
ReplyDeleteBahut achchha likha hai apne .Badhai!!
ReplyDeletebahut aanand air saarthak rachanaa hai.
ReplyDeleteAPNI MAATI
MANIKNAAMAA
wah wah zaaab...
ReplyDeletebetiyon par lagbhag sabhi shayaron ne sher kahe hai. isi kadee me shujalpuri ne bhi khoobsoorat parmparaa ko aage barhayaa hai. unhe badhai itane achchhe lekhan ke liye.
ReplyDeleteसूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
ReplyDeleteजुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!
बहुत अच्छे भाव की असरदार प्रस्तुति.
Sunder Rachna...
ReplyDeleteशुजालपुरी जी ,
ReplyDeleteदिल को छू गई आपकी ग़ज़ल।मोती सरीखे शब्दोँ मेँ गुंथी इस ग़ज़ल की बहर भी प्रभावित करती है।
बधाई हो!
बहुत उम्दा ग़ज़ल है भाईजान. हालाँकि मैंने भी बेटीयों के ऊपर एक ग़ज़ल लिखी है लेकिन आपकी ग़ज़ल मुझसे बहुत ज्यादा बेहतर है. मेरे ब्लॉग www.nareshnashaad.blogspot.com पर आप उस ग़ज़ल को ज़रूर पढियेगा और अपनी टिप्पणी जरुर देना.
ReplyDeleteसूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
ReplyDeleteजुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!
behatareen
अब मैं क्या कहूँ, दर्द शुजालपुरी भाई से बिछड़े 20 वर्ष हो गये। 1985 से 1990 के मध्य जब मैं खरगोन में था तब दो तीन बार मंच पर एक साथ प्रस्तुत हुए थे। इनका तो तब भी बड़ा नाम था। अच्छा कहते हैं, ये ही पहली बार मेरे पीछे पड़े थे बह्र को लेकर और मैं तब से बह्रों के बह्र में डुबकियॉ लगा रहा हूँ।
ReplyDelete@दर्द भाई
संपर्क जरूर कीजिये kapoor.tilakraj@gmail.com पर और कभी समय निकाल पायें तो rastekeedhool.blogspot.com पर जरूर आयें।
waah...waah...
ReplyDeleteफुरसत मिले तो इनको ज़रा पढ़ भी लीजिए !
ReplyDeleteकुरान, बाईबल और गीता हैं बेटियां !!
और कहने को बचा ही क्या है - सच्ची और बेमिशाल ग़ज़ल - आभार
दर्द साहब ने बेटियों का दर्द बहुत संवेदनशीलता से कागज पर उकेरा है. साधुवाद.
ReplyDeleteप्रेमचंद सहजवाला
बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
ReplyDeleteदस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!
वाह जबर्दस्त भाव!!
dard sujalpuri sahb bahut khub gazal kahi h vaha vaha
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल है ... और बहुत उम्दा सोच है ... अगर सब ऐसे सोचें तो हमारे समाज का भला हो जाये ...
ReplyDeleteWonderful poem. Beautiful words. Congrats.
ReplyDeleteJolly Uncle
http://www.jollyuncle.blogspot.com
Wonderful poem. Beautiful words. Congrats.
ReplyDeleteJolly Uncle
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ReplyDeleteAaj ki subah rktk ho gai. badhai. ji karta hai apki gazal mai gunguna lun.
ReplyDeleteसूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!
VAH!!!
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है ... सच लिखा है हर शेर में ... बेटियाँ मा बाप के जीतने करीब होतय हैं बेटे नही होते ..... हर शेर में हक़ीकत की झलक मिलती है ...
ReplyDeleteदर्द शुजालपुरी की ग़ज़ल बेटियों के दर्द को बखूवी उकेरती है बधाई.
ReplyDeleteBETIYON PAR EK ACHCHHEE GAZAL HAI.BADHAAEE.
ReplyDeleteबालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
ReplyDeleteदस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !शुक्रिया. बधाई
ak lambe arse bad dard sahab se yahan milkar khushi hui.unki madhur awaz me suni hai ye gazal.sunder.
ReplyDeleteसूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
ReplyDeleteजुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!
बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!
निःशब्द हूँ ......!!
बेमिसाल .....!!
bahut hi achi rachna hai betiya........
ReplyDeleteKaash betiyon ko har pita isee tarah samjhe!
ReplyDeleteसूरज की रूह, चांद का चेहरा हैं बेटियां !
ReplyDeleteजुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!
लाज़वाब प्रस्तुति , बहुत खूब !!
बेहद खूबसूरत और संवेदनशील सोच को दर्शाती हुई ग़ज़ल है ...सीधे दिल कि तह तक जाती है...अतिसुन्दर भाव.
ReplyDeleteसिर्फ और सिर्फ एक शब्द, बेहतरीन!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविताएं है.
ReplyDeleteBetiyan har aangan ki shobha hoti hai, ve milne par hasati hai, bichadne par rulati hai. bahut hi sunder abhivyakti hai.
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