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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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सम्पादक मंडल
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अच्छी ग़ज़लें, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।
ReplyDeleteपाँचों ग़ज़लें बहुत ही प्यारी हैं .
ReplyDeleteमोम के जिस्म जब पिघलते हैं
तो पतंगों के दिल भी जलते हैं
आपकी शान में ........
शम्मा की जिन्दगी तो जारी सहर तक रहती
पतंगे मिटने को उस वक्त ही मचलते हैं.
इतनी अच्छी गजलों के लिए धन्यवाद !
is kadar narm dil shikari ho...vah ! panchon gazalen ek se badh kar ek...badhaee..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
jitni tareef ki jaye utni kam hai Kavita ma'am ki in perfect gazals ki.. abhar aapka
ReplyDelete...बेहद प्रसंशनीय गजलें, बहुत बहुत बधाईंया!!!!
ReplyDeleteKiran ji ki ghazlen achchhi hain. Badhai!
ReplyDeletePahli ghazal ka maqta Kiran ka dhyan dobara chahta hai.
wah kavita ji ,wah!
ReplyDeleteaapki panchon gazhal shandar or jandar hain.aapke pas to tamam prakar ki khoobsoorti hai.gazhlon ko bhi khoobsoorat bana deti hain.aapka gala bhi la jawab hai.aakhar kalash ko apni vani bhi bhejo!
अच्छी ग़ज़लें। बधाई।
ReplyDeletekavita kiran ji ko padh kar achcha laga..
ReplyDeletevery nice.....
किरण जी की गज़लें बहुत ही खुबसूरत है। बधाई हो।
ReplyDeleteमोहतरमा कविता किरण जी की हर ग़ज़ल गहरा असर छोड़ती है. जो उनकी शायरी की पुख़्तगी का सुबूत है.
ReplyDeleteपहली ग़ज़ल का ये शेर-
हैं सभी हुस्न की इबादत में
इश्क का भी कोई पुजारी हो
कितना दिलचस्प है!!!
और
उम्र-भर साथ-साथ चलने से
हमसफर हमनशीं नहीं होता
ये सच कितना खूब है..
नाप ले दूरियां भले आदम
आस्मां ये जमीं नहीं होता
वाह.....वाह....वाह
ये देखिये
आपने अपना बनाकर हमसफर
एक कंकर को नगीना कर लिया
कमाल का शेर है.
आंख मेरी फिर सजल होने को है
लग रहा है इक गजल होने को है
तमाम मतलों वाली ये ग़ज़ल अलग अंदाज़ में है.
massa allah kya khub sayari hai apki
ReplyDeletedil khus ho gai apki sayari padke, bilkul dil ke karib feel hua
bhagwan kare aap aur bhi ucchayion ko chue
best of luck
..बेहद प्रसंशनीय गजलें, बहुत बहुत बधाईंया!!!!
ReplyDeletekhubsurt gzlon ke liye mubark baad pesh karta hn
ReplyDeleteकविता जी आपकी गजल गीत व कविताएं में पढनं के बजाए सुनना जदा पंसद करता हूँ । क्योंकि आपके शब्दों में ही नहीं अवाज में भी जादू हैं ।
ReplyDelete