कवि कुलवंत सिंह की कविताए - पुष्प का अनुराग


कवि परिचय
कवि कुलवंत सिंह
जन्म तिथि         :    11 January
जन्म स्थान        :   रूड़की, उत्तरांचल
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा : करनैलगंज, गोण्डा (उ. प्र.)
उच्च शिक्षा         :  अभियांत्रिकी, आई आई टी रुड़की (रजत पदक एवं 3 अन्य पदक)
पुस्तकें प्रकाशित : 1.  निकुंज (काव्य संग्रह)      2.  परमाणु एवं विकास (अनुवाद)    3.  विज्ञान प्रश्न मंच
पुस्तक (प्रकाशनाधीन) : कण - क्षेपण
रचनाएं प्रकाशित : साहित्यिक पत्रिकाओं, परमाणु ऊर्जा विभाग, राजबाषा विभाग, केंद्र सरकार की
                            विभिन्न गृह पत्रिकाओं, वैज्ञानिक, आविष्कार, अंतरजाल पत्रिकाओं में अनेक
                            साहित्यिक एवं वैज्ञानिक रचनाएं प्रकाशित
पुरुस्कृत             : काव्यलेख, विज्ञान लेखों, विभागीय हिंदी सेवाओं के लिए विभिन्न संस्थाओं
                            द्वारा पुरुस्कृत
सेवाएं                 :  हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद से 15 वर्षों से संबंधित
                         : व्यवस्थापक , वैज्ञानिक त्रैमासिक पत्रिका
                         : विज्ञान प्रश्न मंचों का परमाणु ऊर्जा विभाग एवं अन्य संस्थानों के लिए अखिल 
                            भारत स्तर पर आयोजन
                         : क्विज मास्टर
                         : कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ
मानव सेवा धर्म  : डायबिटीज, जोड़ों का दर्द इत्यादि का इलाज
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पुष्प का अनुराग

विधु से मादक शीतलता ले
शोख चांदनी उज्ज्वलता ले,
भू से कण कण चेतनता ले
अंतर्मन की यौवनता ले .

अरुणिम आभा अरुणोदय से
सात रंग ले किरण प्रभा से,
रंग चुरा मनभावन उससे
प्रीत दिलों में जिससे बरसे .

जल बूंदों से निर्मलता ले
पवन तरंगों से झूला ले,
संगीत अलौकिक नभ से ले
मधु रस अपने यौवन का ले .

डाल डाली पर यौवन भार
गाता मधुमय गीत बहार,
पुष्प सुवास बह संग बयार
रति मनसिज सी प्रेम पुकार .

पाकर मधुमय पुष्प सुवास
गंध को भर कर अपनी श्वास
इक तितली ने लिया प्रवास,
किया पुष्प पर उसने वास .

मधुर प्रीत की छिड़ गई रीत
दोनो लिपटे कह कर मीत,
पंखुड़ियों ने भूली नीति
मूक मधुर बिखरा संगीत .

अतिशय सुख वह मौन मिलन का
मद मधुमय उस रस अनुभव का,
कंपन करती पंखुड़ियों का
तितली के झंकृत पंखों का .

पराग कणों से कर आलिंगन
शिथिल हुए दोनों के तन मन,
सुख मिलता सब करके अर्पण
हर इक कण में रब का वर्णन
************** 
कवि कुलवंत सिंह
संप्रति                :  वैज्ञानिक अधिकारी, पदार्थ संसाधन प्रभाग, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
                            मुंबई - 400085
निवास              : 2 डी, बद्रीनाथ, अणुशक्ति नगर, मुंबई 400094
फोन                 : 022-25595378 (O) / 09819173477 (R)
ई मेल               : kavi.kulwant@gmail.com         
कविताएं         : http://kavikulwant.blogspot.com  www.PoetryPoem.com/kavkulwant  

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8 Responses to कवि कुलवंत सिंह की कविताए - पुष्प का अनुराग

  1. nice poem.. thanks if you are share with me. say thans to praji..कवि कुलवंत सिंह

    ReplyDelete
  2. एक अच्छी कविता मिली पड़ने को
    शुक्रिया

    ReplyDelete
  3. उत्तम हिन्दी में लिखी सुवासित रचना .सुगंध लिए लिए फूलों की.

    ReplyDelete
  4. एक अच्छी कविता मिली पड़ने को
    शुक्रिया

    ReplyDelete
  5. आखर कलश उत्तरोतर प्रगति पथ पर अग्रसर है …
    बधाई और मंगलकामनाएं !

    कवि कुलवंत सिंह जी की रचनाएं पहले भी पढ़ी हैं ,
    निरंतर अच्छा लिखने को प्रयत्नशील रहते हैं । कवि कुलवंत सिंह जी की रचना
    पुष्प का अनुराग
    आखर कलश में छपी है , पारंपरिक सृजन उत्साह से परिपूर्ण रचना है ।
    वाक्य विन्यास सहित कुछ शब्दों पर भी प्रकाशनार्थ भेजने से पहले ग़ौर फ़रमा लेते …
    यथा - यौवनता
    सब मित्रों को शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  6. जब जब ऐसी कवितायें पढ़ने को मिलती हैं, कविता का स्‍वर्ण युग याद आ जाता है, शब्‍दों का चयन, लयबद्धता- काव्‍य का आनंद ही आनंद।
    बधाई कुलवंत भाई।

    ReplyDelete
  7. अतिशय सुख वह मौन मिलन का
    मद मधुमय उस रस अनुभव का,
    कंपन करती पंखुड़ियों का
    तितली के झंकृत पंखों का .

    bahut sunder......ati sunder chitran kiya hai pushp ke anuraag ka ,shabd -shabd se madu ras tapak raha hai........badhai

    ReplyDelete
  8. अतिशय सुख वह मौन मिलन कामद मधुमय उस रस अनुभव का,कंपन करती पंखुड़ियों कातितली के झंकृत पंखों का .
    Kulwant ji ki rachnatmak oorja unki shabdavali se zahir ho rahi hai. Bhavpprn abhivyakti le liye daad ho

    ReplyDelete

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