दीनदयाल शर्मा की रचनाएँ










दीनदयाल शर्मा की गजल - अब तो  जाग 

कौन  बुझाए खुद के भीतर , रहो जलाते आग,
ऐसे नहीं मिटा पायेगा, कोई आपका दाग.

मन की बातें कभी करते, भीतर रखते नाग,
कैसे बतियाएं हम तुमसे, करते भागमभाग.

कहे चोर को चोरी कर ले, मालिक को कह जाग,
इज्जत सबकी एक सी होती, रहने दो सिर पाग.

धूम मचाले रंग लगा ले, आया है अब फाग,
बेसुर की तूं बात छोड़ दे, गा ले मीठा राग.

मन के अंधियारे को मेटो , क्यों बन बैठे काग,
कब तक सोये रहोगे साथी, उठ रे अब तो जाग.
*******
दीनदयाल शर्मा के गीत 

सपने
सपने तो  लेते हैं हम सब, ऊंची रखते आस,
मिले सफलता उसको, जिसके मन में हो विश्वास.

बेमतलब की बात करें हम, अधकचरा है ज्ञान
अपनी कमजोरी पर आखिर, क्यों नहीं देते ध्यान.
दोषी खुद है मंढे  और पर, किसको आए रास.

आगे बढ़ता देख पाए, भीतर उठती आग.
कहें चोर को चोरी कर तू, मालिक को कहें जाग,
कैसे हो कल्याण हमारा, चाहें और का नाश.

अच्छा कभी सोचेंगे हम, भाए अच्छी बात,
ऊंची - ऊंची फेंकने वालों, के हम रहते साथ,
लाखों की चाहत है अपनी, पाई नहीं है पास.

आलस है हम सबका दुश्मन, इसको ना छोड़ेंगे,
सरल मार्ग अपनाएं सारे, खुद को ना मोड़ेंगे,
अंधकूप में भटकेंगे तो कैसे मिले उजास..
*******
समय
गलत काम में गुस्सा आता, धीरज क्यों नहीं धरता मैं
उम्मीदें पालूं दूजों से, खुद करने से डरता मैं,

आलस बहुत बुरी चीज है, किसको कैसे बतलाऊँ,
आलस की नदिया में बैठा, अपना गागर भरता मैं,

समय की कीमत कब समझूंगा, समय निकल जाएगा तब
समय सफलता कैसे देगा, कोशिश कभी  करता मैं

सब कुछ जान लिया है मैंने, कुछ भी नही रहा बाकी
मुझको कौन सिखा सकता है, अहंकार में मरता मैं

समय नहीं कुछ कहने का अब, खुद कर लूँ तो अच्छा है,
सीख शरीरां उपजे सारी , बाहर क्यों विचरता मैं

*******

मानद साहित्य संपादक, टाबर टोली, हनुमानगढ़ जं
- अध्यक्ष, राजस्थान बाल कल्याण परिषद्
हनुमानगढ़ जं. - ३३५५१२

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30 Responses to दीनदयाल शर्मा की रचनाएँ

  1. bahut he achha laga padh kar Deen Dayal ji ko...

    shukriyaa saanjha kar ek liye!

    ReplyDelete
  2. समय की कीमत कब समझूंगा, समय निकल जाएगा तब,
    समय सफलता कैसे देगा, कोशिश कभी न करता मैं,

    बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

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  3. वाह....बहुत गहरे भाव लिये आप की कविता... इंतजार ओर इंतजार

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  4. Prem srdhye,
    Bhai ji Deendayal ji.
    Aap ki teen rachanye Aab to jag,sapnye or samay pdhi.teeno rachanyo mai karrara veyeng h.Aap ki sabhi rachanaye bhut hi khubsurat or gayanverdhek hoti h.Rachana pd ker yu legta h ki Aap muskera rehye ho.Aap ki muskan kavityo m saf jelketi h.Mari dua h ki Aap ise prkar muskra ker likhte reho.
    Achhi or payri si rachana k liye sadhu-bad.
    NARESH MEHAN

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  5. bahut hi sundar bhavon se saji rachnayein.

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  6. behad bhavpurn abhivyakti
    bdhai
    madan gopal ladha

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  7. apne sapne apna samay apne bheetar kee aag mulyawaan hai.....
    teenon rachnayen adwitiye paksh rakhti hain

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  8. Aaj ke bhautik yug men Deendayal Sharma Ji ki rachnayen manviy moolyon ko bachane ka ek sundar
    aur sarthak pryas hain.unhen meri taraf se badhai. Alam Khursheed

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  9. आखर कलश में साहित्यकार दीनदयाल शर्मा जी की एक गजल और दो गीत पढ़ कर मजा आ गया. शर्मा जी केवल वरिष्ठ बाल साहित्यकार ही नहीं, अच्छे कवि भी हैं. आप की प्रत्येक रचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इनकी हास्य रचनाएँ भी लाजवाब हैं. सरल, सहज और स्पष्ट कवि को हार्दिक शुभकामनाएं..राजेंद्र डाल

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  10. बहुत गहन चिन्तन, लेखक को बधाई.

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  11. Mere liye bahut prasnnta ki baat hai ki apko meri Gajal "Ab to Jaag" aur Geet "Sapne" aur "Samay" pasand aye...Meri aur se hardik badhaee svikar kren. Main apne mitron aur kavy Premio se agrh krta hun ki ve khule man se iski pratikriya me apne vichaar den..kami batayen, visheshta batayen..likhne aur padhne me dono tarf se Hausla badhta hai.Jinhone Pratiktriya di hai aur ise padhne wale apne Vichaar denge.. mere liye dono hi mahtw rakhte hain. meri Haardik Badhaaee..09414514666

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  12. दीन दयाल जी आप की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.आज के समाज को आइना दिखाती हुई.आगे भी आप की रचनाएँ पढ़ने को मिले ऐसी आशा रखती हूँ

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  13. sabhi rachnayen behatareen, seekh deti hui.

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  14. bhai sahab 'DEED' ji,
    aapki gazal aur kavitayein padhi. behad sundar shilp aur bhav ke liye badhai ......
    Jitendra kumar soni
    www.jksoniprayas.blogspot.com

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  15. Hello Deendayal ji.. its really appreciable "Gazals" and "poems". I liked it very much. Good work..

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  16. Dear Sir Deendayal ji. maine aapka bahut name suna hai. aapki ek haasya vyangy "Saari khudaai ek taraf" bhi padhi. bahut achi lagi. aur ye gazal aur kavitaaye to laajawab hai. isme ek line mujhe bahut achi lagi....
    गलत काम में गुस्सा आता, धीरज क्यों नहीं धरता मैं,
    उम्मीदें पालूं दूजों से, खुद करने से डरता मैं
    waah. laajwab...nice work sir.
    jyoti lohiya. sgnr.

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  17. nice gazals and poems. very deep poems. bilkul saral aur sehaj shabdo me likhi gai hai. aage bhi aisi rachnaaye padhne ko mile to badi khushi hogi.
    Arpit kulria. Bikaner.

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  18. deendayal ji kamaal kar diya aapne to. . aisi gazal likhi hai. vaastvikta bataati hai ye to. kalpana se kahi door. bahut ache. bahut pasand aai. bhartendu

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  19. GAZAL AUR KAVITA SHANDAAR HAI.YOU HAVE DONE VERY WELL.
    MASTAN SINGH
    BLOG= penaltystroke.blogspot.com

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  20. "कौन बुझाए खुद के भीतर रहो जलाते आग", "सपने तो लेते हैं हम सब ऊंची रखते आस", "गलत काम में गुस्सा आता धीरज क्यों नहीं धरता मैं" नामक तीन रचनाएं पढ़ने को मिलीं। इन रचनाओं में आपने जीवन के अनुभवों को बड़े करीने से संजोया है । भटके हुए लोगों को राह दिखाने के लिए उपदेशात्मक रचनाएं क्भी-क्भी कारगर सिध्द होती हैं। आपके प्रयास को साधुवाद !

    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  21. भाई दीनदयाल जी शर्मा देश के लब्ध प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार हैँ।कलम के धनी हैँ।हास्य व्यंग्य सम्राट हैँ। अच्छे कहानीकार,नाटक-एकांकीकार, कवि व उद्घोषक भी हैँ आप।इस ब्लाग पर वे अपनी अच्छी कविताओँ के साथ उपस्थित मिले तो बड़ा अच्छा लगा। आनंद आया।उनके चेहरे पर पगड़ी भी बहुत फब रही। अच्छी रचनाओँ व सुन्दर फोटो के लिए बधाई!
    -ओम पुरोहित'कागद' omkagad.blngspotcom

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  22. waah uncle.....ghazab uncle ki ajab ghazab kavita...waah

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  23. dd sharmji ki gazal aur geet padh kar aanand aa gaya. bahut hi sahaj andaj me sacchi baat likhte hai.jaisa unka vyawhar hai waisa hi lekhan bhi hai.
    ....kirti rana/blog pachmel

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  24. अच्‍छी कहन के लिये अच्‍छे विचार और अच्‍छा शब्‍द ज्ञान और सही व्‍याकरण तो न्‍यूनतम आवश्‍यकता है ही और ये तीनों पक्ष आपकी रचनाओं में मौज़ूद ही नहीं हैं आपकी वैचारिक सरलता को भी स्‍पष्‍ट करते हैं। दोहा छन्‍द का उपयोग कर ग़ज़ल कहने वाले कम ही हैं, जिसमें आज एक नया नाम आपके रूप में सामने आया। हॉं ग़ज़ल के रूप में स्‍वीकार करने में ग़ज़ल-विशारदों को आपत्ति हो सकती है। मफझे तो आपके सहज भाव और सहज भाषा दोनों अच्‍छे लगे।

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  25. मेरी रचनाओं पर जिन - जिन साहित्यकारों, काव्य प्रेमिओं व शुभचिंतकों ने प्रतिक्रिया दी है , उनका मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ और अपेक्षा करता हूँ कि वे आगे भी इसी तरह अपने विचारों से कृतार्थ करते रहेंगे. और देश भर से जो परिचित अपरिचित साहित्य प्रेमी व साहित्यकार इस ब्लॉग को क्लिक करके पढेंगे...उनसे निवेदन है कि वे मेरी रचनाओं पर भी एक बार नजर जरूर डालें और हो सके तो अपनी प्रतिक्रिया में दो शब्द जरूर लिखें..आप सबका फिर से आभार. http://deendayalsharma.blogspot.com , 09414514666

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