जतिन्दर परवाज की गजलें


 


1.
आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं
छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं
गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
कुछ और सोच ज़रीया उस को पाने का
जंतर-मंतर  जादू-टोना ठीक नहीं
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
कब तक दिल पर बोझ उठायोगेपरवाज़
माज़ी के ज़ख़्मों को ढ़ोना ठीक नहीं


2.
गुमसम तनहा बैठा होगा
सिगरट के कश  भरता होगा
उसने खिड़की खोली होगी
और गली में देखा होगा
ज़ोर से मेरा दिल धड़का है
उस ने मुझ को सोचा होगा
सच बतलाना कैसा है वो
तुम ने उस को देखा होगा
मैं तो हँसना भूल गया हूँ
वो भी शायद रोता होगा
ठंडी रात में आग जला कर
मेरा रास्ता तकता होगा
अपने घर की छत पे बेठा
शायद तारे गिनता होगा


3.
ज़रा सी देर में दिलकश  नजारा डूब जायेगा
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा
जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा
समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलु बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा


4.
शजर पर एक ही पत्ता बचा है
हवा की आँख में चुभने लगा है
नदी दम तोड़ बैठी तशनगी से
समन्दर बारिशों  में भीगता है
कभी जुगनू कभी तितली के पीछे
मेरा बचपन अभी तक भागता है
सभी के ख़ून में ग़ैरत नही पर
लहू सब की रगों में दोड़ता है
जवानी क्या मेरे बेटे पे आई
मेरी आँखों में आँखे डालता है
चलो हम भी किनारे बैठ जायें
ग़ज़ल ग़ालिब सी दरिया गा रहा है


5.
सहमा सहमा हर इक चेहरा मंजर मंजर ख़ून में तर
शहर से जंगल ही अच्छा है चल चिड़िया तू अपने घर
तुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता है
तुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर
बेमोसम ही छा जाते हैं बादल तेरी यादों के
बेमोसम ही हो जाती है बारिश  दिल की धरती पर
भी जा अब जाने वाले कुछ इन को भी चैन पड़े
 
कब से तेरा रस्ता देखें छत आँगन दीवार--दर
जिस की बातें अम्मा अब्बू अक्सर करते रहते हैं
सरहद पार जाने कैसा वो होगा पुरखों का घर
**************

परिचय
नाम - जतिन्दर परवाज़
पिता का नाम - श्री जगदीश राज वर्मा ,
माता का नाम - श्रीमति - कमला देवी वर्मा
जन्म -25 फरबरी 1975 को पंजाब पठानकोट के पास  के एक गाँव शाहपुर कंडी  पंजाब में
शिक्षा - ग्रेजुएशन
भाषा ज्ञान  - हिंदी , पंजाबी , उर्दू , इंग्लिश
पर्काशन - देश-विदेश की हिंदी / उर्दू की पत्र-पत्रिकाओं तथा काव्य-संकलनों में ग़ज़लें प्रकाशित
सम्मान - अनेको साहित्यक तथा सामाजिक संस्थायों द्वारा सम्मानित
पंजाब की नोजवान नस्ल  में सब से ज्यादा मशहूर और लोकप्रिय शायर हैं
आल इंडिया मुशायरा और कवि-समेलन में शिरकत तथा रेडियो / टीवी पर शायरी के कई  लाइव तथा रिकार्डिंग  कार्यक्रम
संप्रति - वर्तमान में दिल्ली के  एक समाचारपत्र में  कार्यरत,
 तथा उर्दू /हिंदी/ पंजाबी अनुवादक और कंप्यूटर कम्पोज़र का निजी कार्य
संपर्क . जतिन्दर परवाज़ , गाँव - शाहपुर कंडी , तहसील - पठानकोट , पंजाब 145029 (भारत) फ़ोन 01870 264807
दिल्ली में - जतिन्दर परवाज़  चोपड़ा हाऊस  A- 21 संजय पार्क , शकरपुर , दिल्ली - 92
मोबाइल दिल्ली - +919868985658
ईमेल - jatinderparwaaz@gmail.com
www.qalameshair.blogspot.com

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8 Responses to जतिन्दर परवाज की गजलें

  1. अच्छी ग़ज़लें, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती हैं।

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  2. जतिन्दर परवाज साहब
    वाह वाह.....पांच ग़ज़लें...कई दीवान पर भारी हैं
    क्या खूब कहा है.
    ********************************
    मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
    यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
    *******************************
    सच बतलाना कैसा है वो
    तुम ने उस को देखा होगा
    *******************************
    कभी जुगनू कभी तितली के पीछे
    मेरा बचपन अभी तक भागता है
    *********************************
    तुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता है
    तुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर
    ********************************
    बहुत बहुत मुबारकबाद.....और बुलंदियों की सीढ़ियां चढ़ते जाओ...यही शुभकामनाएं हैं

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  3. बेहतरीन अशआर और बेहतरीन ग़ज़लें। किस-किस की तारीफ़ करूँ। शाहिद भाई ने लगभग मेरी टिप्‍पणी का काम कर ही दिया है। जो शायर हालात पर कहने लगा और अवाम की आवाज़ बन गया उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। आपका परिचय गवाह है इसका।

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  4. ljwaab gazlen ......jitni tareef kiya jayen utna hi kam hai .........bahut bahut shukriya

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  5. pahali baar yah blog dekha. blog nahi, yah baag hai. sundar, khushabuon se bhara. blog ke bahaane ek patrika ka aaswaadan prapy liyaa. badhai, achchhe prayaas ke liye..

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  6. Itni sundar gazalon se ru-b-ru karaneka shukriya!

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  7. बहुत ख़ूब
    जतिन्दर परवाज़ जी
    उड़ान भरिये आसमान आपका है

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  8. मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो..यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं.. Bahut sundar gajalen... lajavaab.

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