“में आई कम-इन सर?”
“मार्निंग”
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sral shabdo apne maksad ko vyakt kerti ye khani .......bahut bahut shukriya
ReplyDeleteएक अच्छी कथ्य जो आज की व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य।
ReplyDeleteसाथ में गॉंधी अगर ले जाओगे
काम हर करवा के वापिस आओगे।
हॉं तरीके अलग-अलग हो सकते हैं।
इसे कहते है, "साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे" .....मजेदार !
ReplyDeleteआभार
यह छोटी सी कहानी अपने उद्देश्य में सफल रही. मनोज जी ये कथा बहुत भली लगी !
ReplyDeleteबहुत खूब मनोज जी...बात मनवाने का क्या खूब नुस्खा दिया है आपने...इंसान की होशियारी का कोई जवाब नहीं...
ReplyDeleteनीरज
manoj ji,
ReplyDeletesarkari daftar ka karmchaari ho ya multinational company ka, kaam nikalna sabhi jante. ya kahe ki ab ye tarkeeb aur tikdam apne aap sabhi seekh jate. sateek chitran aur saarthak lekhan ke liye badhai sweekaren.
aaj ke halat par teekha vyangya .
ReplyDeleteaaj ke ythart ko salike se vyang mein likhi ek khoobsorat rachna .....manzil per jane ke chupe rasto ko benaqab ketri hai......
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