मौन जब मुखरित हुआ


- सीमा गुप्ता
मौन जब मुखरित हुआ

और सुर मे आने लगा,

प्रियतम तेरी यादो का झरना

फुट फुट जाने लगा..

भूली बिसरी बातो के

सोए खंडहर सहसा जाग उठे,

पीडा के बोझ से दबा

हर पल लडखडाने लगा...

बिखरे हुए संबंधो की कडियाँ

छोर भी न कोई पा सकी,

अपनत्व का अस्तित्व

दर दर ठोकरे खाने लगा...

नैनो की शाखों पे

जम गये जो सुख कर

मृत अश्को मे प्राण

जैसे अंकुरित हो जाने लगा...
***

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3 Responses to मौन जब मुखरित हुआ

  1. मेरी रचनाओ को यहाँ स्थान देने का आभार
    regards

    ReplyDelete
  2. bahut hi acacha likha hai aapne.........sundar prastuti

    ReplyDelete
  3. naino ko shakhon pe
    jam gaia jo sukh kar
    mrit ashko men pran
    jaise ankurit ho jane laga.
    bahut achchhi abhivaykti ke liye badhai.

    ReplyDelete

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