चक्रव्यूह





 रश्मि प्रभा





चक्रव्यूह से निकलने की कोशिश में लगा मन,
मकसद की पतवार लेकर
भंवर से भरे झील में
चलाता रहा नाव
प्यास से अनजान
प्यास से विमुख
हर रात सोया झील में......
चाँद हंसा शरद पूर्णिमा का
अमृत की बूंद गिरी....
मन ने अलसाई आँखों को खोला
पतवार की पकड़ मजबूत हुई
रास्ते का ज्ञान मिला..................
मकसदों की रास थामे ज़िन्दगी यूँ मिलेगी
कब सोचा था!
मन मचला , बलखाया, इतराया
अमावस्या की आहट से बेखबर
 मंजिल की ओर बढा...
घना अँधेरा जब छाया 
मन अकुलाया , घबराया
उजाले का इंतज़ार किया...
हँसा मन बिलख कर -
चक्रव्यूह के घेरे में मकसद की पतवार लेकर
न थी कहीं कोई ज़िन्दगी,
न कोई हल...
चलना था, बस चलना था...
मन को थी एक आस
एक छोटा-सा विश्वास
गर परिवर्तन जीवन का नियम है
तो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है 
चाँद को फिर आना है...
*******

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14 Responses to चक्रव्यूह

  1. और चांद के माफिक
    दुनिया गोल है
    परिवर्तन बेढोल सही
    पर नर्तन में जो
    होती है लय
    उसी में यह
    हो रहा है विलय।

    ReplyDelete
  2. गर परिवर्तन जीवन का नियम है

    तो इतना तो तय है

    अमावस्या को भी जाना है

    चाँद को फिर आना है...

    rashmiji eak aur aapke brand ki kavita soulful... inspiring !

    ReplyDelete
  3. ek nai ummed ka janam fir se kar diya aapne dil me...

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  4. रश्मि जी,
    ज़िन्दगी के चक्रव्यूह को तोड़ना नामुमकिन है, अभिमन्यू की तरह हम सभी बस इसमें प्रवेश करना जान पाए इससे निकलना नहीं| एक हीं मार्ग है बस... फिर भी आस तो लगाए रखना है न, बहुत अच्छी रचना, बधाई आपको|

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  5. amavasya ko jana he
    chand ko phir aana he .....

    bahoooot sundar he ,,,dil ko chu gayi ,,,lines...

    ReplyDelete
  6. मन को थी एक आस
    एक छोटा-सा विश्वास
    गर परिवर्तन जीवन का नियम है
    तो इतना तो तय है
    अमावस्या को भी जाना है
    चाँद को फिर आना है...

    Sach hai, yeh vishwas hi bisham paristhityo se jujhne ka sahas deti hai.

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  7. इतना तो तय है कि अमावस्या को जाना है ...
    बस अमावस्या के जाने तक हौसला बनाये रखना है ...
    चक्रव्यूह के किनारे बैठ कर तो उसे तोड़ने का भरम नहीं पला जा सकता..बीच मझदार में उतरने का साहस भी जरुरी है..और इस साहस के लिए अमावस्या से पूर्णिमा का सफ़र भी ...

    आपकी ये कविता मुझे बहुत अच्छी लगी ....आखर कलश से छलके मोती जैसे ....!!

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  8. गर परिवर्तन जीवन का नियम है

    तो इतना तो तय है

    अमावस्या को भी जाना है

    चाँद को फिर आना है...

    बहुत सकारात्मक भाव....रचना पढने से उर्जा मिली....

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  9. विश्वास की लौ ही काफी है अन्धकार को उजाले में बदलने के लिए... ILu...!

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  10. bahut achchhe aur sakaratmak vichharon se bhari sundar rachna

    ReplyDelete
  11. गर परिवर्तन जीवन का नियम है
    तो इतना तो तय है
    अमावस्या को भी जाना है
    चाँद को फिर आना है...

    adbhutaas mam... aaapki najmon kee tarif agar main karun to chhota munh aur badi baat wli baat ho jayegi... aapki kavita padhne ke baad bilkul nihshabd ho jata hun...

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  12. PARIVARTAN HI JIVAN KA SAR HEIN
    BAHUT KHOOB

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  13. bahut hi behtreen panktiyan
    jeevan saar

    ReplyDelete
  14. गर परिवर्तन जीवन का नियम है

    तो इतना तो तय है

    अमावस्या को भी जाना है

    चाँद को फिर आना है...

    bahut khoob rashmi ji ...

    bahut din baad aapko para ....aur mantra mugdh ho gai.......
    parivertan na ho tu bhi hum udas ho jate hai
    aur parivertan hote hai tab bhi hum naraz ho jate hai........sach tu ye hai ki hame usme anand hamesha anand ko khojna chahiye.......

    ReplyDelete

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