-सुनील गज्जाणी
कचरे की ढेरी पे,
मानो सिंहासन पे हो बैठा,
जाने किस उधेड-बुन में,
अपने गालो पे हाथ धरे,
कचरे में पडे एक आईने में,
अक्स देखता अपना,
निहारता अपने को,
एक भिखारी।
सभ्य कॉलोनी के घरो का,
नाकारा सामान,
कूडा-करकट,
कचरा पात्र में,
कॉलोनी के बीचो बीच भरा पडा,
बीनता ढूंढता,
जाने क्या,
उस ढेर में,
वो भिखारी।
Search
“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
प्रवर्ग
"विविध रचनाएँ
(1)
अनुवाद
(3)
अमित पुरोहित की लघुकथा
(1)
अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य
(1)
आचार्य संजीव वर्मा ’सलिल’- वासंती दोहा गजल
(1)
आलेख
(11)
कथांचल
(1)
कविताएँ
(140)
कहानियाँ
(4)
क्षणिकाएँ
(2)
क्षणिकाएं
(1)
गजलें
(49)
गीत
(9)
टी. महादेव राव की गजलें
(1)
डा. अनिल चड्ढा की कविता
(1)
त्रिपदी
(1)
दीपावली विशेषांक
(1)
देवी नागरानी की गजलें
(1)
दोहे
(1)
नज़्म
(1)
नज्में
(2)
नन्दलाल भारती की कविताएँ
(1)
नव गीतिका
(1)
नवगीत
(1)
नाटक - सुनील गज्जाणी
(1)
पुरू मालव की रचनाएँ
(1)
पुस्तक समीक्षा
(2)
फादर्स-डे
(1)
बाल कविताएँ
(1)
बाल कहानियाँ
(1)
महादेवी वर्मा
(1)
महोत्सव
(2)
मातृ दिवस
(1)
यात्रा वृत्तांत
(1)
रश्मि प्रभा की कविता
(1)
लघु कथाएँ
(3)
लघुकथाएँ
(9)
विजय सिंह नाहटा की कविताएँ
(3)
विविध रचनाएँ
(6)
व्यंग्य
(4)
व्यंग्य - सूर्यकुमार पांडेय
(1)
संकलन
(1)
संजय जनागल की लघुकथाएँ
(3)
समसामयिक
(1)
समीक्षा- एक अवलोकन
(1)
संस्मरण - यशवन्त कोठारी
(1)
सीमा गुप्ता की कविताएँ
(3)
सुनील गज्जाणी की लघु कथाएँ
(4)
सुनील गज्जाणी की कविताएँ
(6)
सुलभ जायसवाल की कविता
(1)
हरीश बी. शर्मा की कविताएँ
(1)
हाइकू
(1)
हास-परिहास
(2)
हास्य-व्यंग्य कविताएँ
(1)
होली विशेषांक
(1)
ताज़ी प्रविष्टियाँ
लोकप्रिय कलम
-
संक्षिप्त परिचय नाम : डॉ. सुनील जोगी जन्म : १ जनवरी १९७१ को कानपुर में। शिक्षा : एम. ए., पी-एच. डी. हिंदी में। कार्यक्षेत्र : विभि...
-
आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ! श्री कृष्ण की कृपा से आप और आपका परिवार सभी सुखी हो, मंगलमय हों, ऐसी प्रभ...
-
नामः- श्रीमती साधना राय पिताः- स्वर्गीय श्री हरि गोविन्द राय (अध्यापक) माता:- श्रीमती प्रभा राय...
-
नाम : डॉ. कविता वाचक्नवी जन्म : 6 फरवरी, (अमृतसर) शिक्षा : एम.ए.-- हिंदी (भाषा एवं साहित्य), एम.फिल.--(स्वर्णपदक) पी.एच.डी. प...
-
रोज गढती हूं एक ख्वाब सहेजती हूं उसे श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच आपके दिए अपमान के नश्तर अपने सीने में झेलती हूं सह जा...
-
परिचय सुधीर सक्सेना 'सुधि' की साहित्य लेखन में रुचि बचपन से ही रही। बारह वर्ष की आयु से ही इनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित ...
-
(1) जब कुरेदोगे उसे तुम, फिर हरा हो जाएगा ज़ख्म अपनों का दिया,मुमकिन नहीं भर पायेगा वक्त को पहचान कर जो शख्स चलता है नहीं वक्त ...
-
समीक्षा दिनेश कुमार माली जाने माने प्रकाशक " राज पाल एंड संज "द्वारा प्रकाशित पुस्तक " रेप तथा अन्य कहानियाँ "...
-
आपके समक्ष लगनशील और युवा लेखिका एकता नाहर की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं. इनकी खूबी है कि आप तकनीकी क्षेत्र में अध्ययनरत होने के उपरांत भी हिं...
-
संक्षिप्त परिचय नाम : दीपा जोशी जन्मतिथि : 7 जुलाई 1970 स्थान : नई दिल्ली शिक्षा : कला व शिक्षा स्नातक, क्रियेटिव राइटिंग में डिप्लोमा ...
हम साथ-साथ हैं
लेखा-जोखा
-
▼
2010
(216)
-
▼
January
(38)
- कवि कुलवंत सिंह की कविताएँ
- शशि पाधा और रचना श्रीवास्तव की कविताएँ
- डॉ. अनुज नरवाल रोहतकी की गजलें
- सीताराम गुप्ता का आलेख - सकारात्मक मानसिक दृष्टिको...
- डॉ. टी. महादेव राव की कुछ कविताएँ - हादसा और मुंबई
- अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य - 26 जनवरी में दिल्ली ...
- देवी नागरानी की गजलें
- चक्रव्यूह
- दूरदर्शिता
- बासंती दोहा ग़ज़ल
- हमसे सुनो..
- टी. महादेव राव की गजलें
- पुरू मालव की रचनाएँ
- संजय जनागल की लघुकथाएँ
- मौन जब मुखरित हुआ
- "अंतर्मन"
- "जब कश्ती लेकर उतरोगे "
- तपती दुपहरी
- अतीतः पसरा हुआ
- बूढा बरगद
- बिकता बचपन
- भगवान बचाये बस यात्रा से
- जब तक उनका नाम रहेगा - तब तक सूरज-चांद रहेंगे
- त्रासदी
- विजय सिंह नाहटा की कविताएँ
- वो भिखारी
- उम्र
- बंद मुट्ठी
- हरीश बी. शर्मा की कविताएँ
- ................................आता है नजर
- चुनाव
- निरन्तर
- एक लम्बी बारिश
- किनारे से परे...
- नई कास्टयूम
- प्रार्थना
- वो नजरें
- मित्र! तुम्हे मेरे मन की बात बताऊ
-
▼
January
(38)
मेरी पसन्द
-
हां, आज ही, जरूर आयें - विजय नरेश की स्मृति में आज कहानी पाठ कैफी आजमी सभागार में शाम 5.30 बजे जुटेंगे शहर के बुद्धिजीवी, लेखक और कलाकार विजय नरेश की स्मृति में कैफ़ी आज़मी ...
-
-
डेढ़ दिन की दिल्ली में तीन मुलाकातें - *दिल्ली जिनसे आबाद है :* कहने को दिल्ली में दस दिन रहा, पर दस मित्रों से भी मुलाकात नहीं हो सकी। शिक्षा के सरोकार संगोष्ठी में भी तमाम मित्र आए थे, पर...
-
‘खबर’ से ‘बयानबाज़ी’ में बदलती पत्रकारिता - मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया से ‘खबर’ गायब हो गयी है और इसका स्थान ‘बयानबाज़ी’ ने ले लिया है और वह भी ज्यादातर बेफ़िजूल की बयानबाज़ी. नेता,अभिनेता...
-
दीवाली - *दीवाली * एक गंठड़ी मिली मिट्टी से भरी फटे -पुराने कपड़ो की कमरे की पंछेती पर पड़ी ! यादे उभरने लगी खादी का कुर्ता , बाबूजी का पर्याय बेलबूटे की साडी साडी ...
-
-
-
नए घरोंदों की नीव में- दो बिम्ब - *नतमस्तक हूं* ======== मैने नहीं चखा जेठ की दुपहरी में निराई करते उस व्यक्ति के माथे से रिसते पसीने को, मैं नहीं जानता पौष की खून जमा देने वाली बर...
-
-
थार में प्यास - जब लोग गा रहे थे पानी के गीत हम सपनों में देखते थे प्यास भर पानी। समुद्र था भी रेत का इतराया पानी देखता था चेहरों का या फिर चेहरों के पीछे छुपे पौरूष का ही ...
-
-
Advertisement
BThemes
Powered by Blogger.
सम्पादक मंडल
- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
congratulation for your own blog
ReplyDeletei have read most of your creation like so good
all of them is readable and so mamorable and useful our socities and current moments . wish you all the best keep it up
may god bless you
Markanday Ranga
Badhaai aur Shubh kamnayen...
ReplyDeleteसुनील जी, आदाब
ReplyDelete....कचरे की ढेरी पे,
मानो सिंहासन पे हो बैठा.....
कविता की शुरूआत ही इतनी मज़बूत है...
कि अंत तक सिर्फ़ और सिर्फ़
बधाई के ही शब्द जबान पर आ रहे हैं...
subhkamnayein!
ReplyDeletesashakt abhivyakti!!!
Shubhkamnayen Sunil ji..yatharth ko likhne ki kala hi asli kala hai.
ReplyDeletebahut khoob.
sunil ji,
ReplyDeleteshayad vo bhikhari waha apna astitwa dhundta hai..........
sunder kalpana....
sorry apke blog tak bahut der se pahucha lekin bahut acha laga.........
namaskar sunil ji , gareebi ka hamare desh mein koi ant nahin ...nice poem
ReplyDeleteSunil ji
ReplyDeleteaapki rachna ka tatv bahut hi anukool laga aur aapki soch shabdon mein khoob saji hai. daad ke saath
Sunil jee aapki yeh yatharyh kavita vo bhakhari bahut hee prabhav shali tatha dil ko chhu jaati hai,badhai.
ReplyDeleteSunil ji ki kavita mein ek khas baat hai..soch ko shabdon mein bunne ki mahirta...bahut khoob abhivyakt hui hai
ReplyDelete